आग़ाज़ ए सुख़न कार्यक्रम ने एक वर्ष पूरे किए

परिवर्तन संवाददाता,दिल्ली

दिनांक 27-6-2021 ,रविवार को परिवर्तन साहित्यिक संस्था द्वारा आयोजित साप्ताहिक कार्यक्रम आग़ाज- ए -सुख़न के गोल्डन जुबली अंक का भव्य आयोजन हुआ। इस पचासवें अंक को और ख़ास बनाया, मंच पर उपस्थित रचनाकारों ने। एक ओर समकालीन कविता के एक सशक्त स्वर ,वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना की गरिमापूर्ण उपस्थिति ने कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की तो दूसरी ओर अरूणांचल प्रदेश की आदिवासी कविता का प्रमुख स्वर जमुना बीनी तादर भी थीं ,वहीँ प्रेम कविताओं से श्रोताओं का मन आह्लादित किया देहरादून की प्रतिभा कटियार ने और दिल्ली से तेज प्रताप नारायण ने समसामयिक विषयों पर अपनी सशक्त रचनाएं सुनाई। जमुना बीनी ने आदिवासी जीवन का जीवंत चित्र खींचा ,प्रतिभा कटियार की कविताएँ प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति कर रहीं थी और तेज प्रताप नारायण की कविताओं में समाज के दर्द की परिभाषा व्यक्त हो रही थी।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ किया जिनमें जीवन का गहरा दर्शन था। कविता के शिल्प और संरचना पर एक सार्थक परिचर्चा भी हुई । नरेश सक्सेना ने कहा कि कविता लिखना एक कला है जो धीरे- धीर आती है। अन्य कलाओं की भाँति कविता भी मेहनत मांगती है। युवा कवियों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि जल्दबाज़ी में न पड़कर कविता की कला को सीखने का प्रयास करें जिससे कविता में सूक्ष्मता ,अर्थगाम्भीर्य ,संक्षिप्तता और लयात्मलता के गुण आ सकें।
कार्यक्रम का संचालन रचनाकार डॉ अनुराधा ओस ने किया।

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