कविता संग्रह ‘ डायरी का पीला वरक ‘ का विमोचन
परिवर्तन साहित्यिक मंच और हंस प्रकाशन, दिल्ली की ओर से आयोजित ‘डायरी का पीला वरक’ लेखक ‘सुशील द्विवेदी’ की पुस्तक का लोकार्पण एवं परिचर्चा का समारोह रखा गया। कार्यक्रम का आरंभ वस्त्र तथा स्मृति चिन्ह देकर किया गया। इस दौरान रेलवे बोर्ड के निदेशक तेज प्रताप नारायण ने पुस्तक पर अपने विचार रखे और लेखक को शुभकामनाएं दीं।
जामिया विश्वविद्यालय के विचारक अब्दुल बिस्मिल्लाह ने कहा कि पीला रंग अवसाद का रंग नहीं बल्कि वसंती सुषमा का रंग है और हमें इन कविताओं के सहारे वसंती सुषमा की और बढ़ना है।
जामिया के प्रो चंद्रदेव यादव ने कहा कि जिस दौर में हम जी रहे है उस दौर में इतना महत्वपूर्ण काव्य संग्रह निकालना जो अपने समय को टुकड़ों में परिभाषित करता हो, यह प्रसन्नता की बात है। इन कविताओं में बहु स्तरीयता है।
विवेकानंद कालेज के हिंदी विभाग की आचार्या डा सरोज कुमारी ने ‘डायरी का पीला वरक’ काव्य संग्रह पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इस काव्य संग्रह को पढ़ते हुए यह लगता ही नहीं कि यह किसी लेखक की पहली रचना है।
आलोचक ‘बजरंग बिहारी तिवारी’ ने कहा कि काव्य संग्रह में लेखक कि जन्मभूमि की छाप है। दयाल सिंह कालेज के प्रो प्रेम तिवारी ने कहा कि काव्य संग्रह की कविताओं में कठिन से कठिन विषय (भैंस की प्रसव पीड़ा, प्रेम के आड़े आता धर्म) जैसे विषयों को भी सहजता के साथ प्रस्तुत किया गया है। कार्यक्रम का संचालन दामिनी यादव ने किया। ‘हंस’ के प्रकाशक हरेन्द्र तिवारी ने कार्यक्रम के अंत में उपस्थित वक्ताओं तथा श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।
जामिया विश्वविद्यालय के विचारक अब्दुल बिस्मिल्लाह ने कहा कि पीला रंग अवसाद का रंग नहीं बल्कि वसंती सुषमा का रंग है और हमें इन कविताओं के सहारे वसंती सुषमा की और बढ़ना है।
जामिया के प्रो चंद्रदेव यादव ने कहा कि जिस दौर में हम जी रहे है उस दौर में इतना महत्वपूर्ण काव्य संग्रह निकालना जो अपने समय को टुकड़ों में परिभाषित करता हो, यह प्रसन्नता की बात है। इन कविताओं में बहु स्तरीयता है।
विवेकानंद कालेज के हिंदी विभाग की आचार्या डा सरोज कुमारी ने ‘डायरी का पीला वरक’ काव्य संग्रह पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इस काव्य संग्रह को पढ़ते हुए यह लगता ही नहीं कि यह किसी लेखक की पहली रचना है।
आलोचक ‘बजरंग बिहारी तिवारी’ ने कहा कि काव्य संग्रह में लेखक कि जन्मभूमि की छाप है। दयाल सिंह कालेज के प्रो प्रेम तिवारी ने कहा कि काव्य संग्रह की कविताओं में कठिन से कठिन विषय (भैंस की प्रसव पीड़ा, प्रेम के आड़े आता धर्म) जैसे विषयों को भी सहजता के साथ प्रस्तुत किया गया है। कार्यक्रम का संचालन दामिनी यादव ने किया। ‘हंस’ के प्रकाशक हरेन्द्र तिवारी ने कार्यक्रम के अंत में उपस्थित वक्ताओं तथा श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।