“कुदरत का फैसला”

 “कुदरत का फैसला”

भावना सिंह

कोरोना के शोर से –
आज हर शहर खामोश है ,
गाँव गाँव बस्ती-बस्ती में –
हर कस्बा मायूस है ।।

ये एक कदम है कुदरत का –
कोई फैसला जरूर लिया होगा ,
बहुत मनमानी हो गई आदमी की –
हस्तक्षेप खुद आकर किया होगा।।

शायद ये समझाने के लिये –
आदमी से ऊपर भी कोई है ,
सबके सह-अस्तित्व का –
सबको सम्मान करना चाहिये ।।

हमारे देश में छुआ छूत ने –
सदियों तक बवाल मचाया ,
अदृश्य विषाणु ने सही मयने में –
छुआ छूत का सबको असली अर्थ समझाया ।।

परमात्मा के पास –
कोई तो योजना होगी ,
बहुत बड़ा कदम उठाया है उसने –
दूसरा कदम भी शीघ्र ही बढ़ायेगा जरूर ।।

सभी की नजरें –
टिकी हैं उसी पे ,
अब क्या करे –
कैसे करे ,
जल्दी ही आकर –
वो बतायेगा जरूर ।।

जब नदियों का पानी –
पीने लायक हो जायेगा ,
हवायें इंसानों के सांस –
लेने लायक हो जायेगीं ।।

आसमां खुला -खुला –
साफ -साफ नजर आयेगा ,
शोर शान्त होगा और माहौल में –
एक सुकून सा बिखर जायेगा।।

आदमी को भी थोड़ा –
सबक मिल जायेगा ,
तब शायद कोई –
नया रास्ता खुल जायेगा ।।

जब धीरे -धीरे आदमी का –
इमान जग जायेगा ,
तब इस कोरोना का –
उसको इलाज मिल जायेगा ।।

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