कुलदीप कुमार ‘आशकिरण ‘ की कविताएं

[ नया वर्ष किसके लिए ]

सब जानते हुए भी न जाने क्यों ?
मैंने पूँछा !
अपने आप से –
यह शोर कैसा ?
क्या किसी की बारात आयी है?
जो बिना दुल्हन के ,
खुशियां ही खुशियां छाई हैं ।
लाउडस्पीकरो की धुनों पर
नाचते है मेरे हम उम्र ,
उनकी ज़ुबा पर
बस एक ही शब्द है –
बधाई हो बधाई हो !!
शहर की बत्तियों से
तारों की टिम-टिमाहट
ओझल हो गयी
गांव में !
बूढ़ी मां ,दीपक बुझा के ,
सो गयी
यहाँ पटाखों और लाऊडस्पीकरों की
धुनों से ,
हुआ नये वर्ष का आगाज़ !
मेरे गांव में निकली है
नये वर्ष की
इक किरण नयी ।
आज शहर के पार्को में
दिख रहा मज़मा उल्लास का
पर गाँव में बूढ़ी मां ,
अपने बच्चों संग
है खेत गयी !
माना की रेस्टोरेंटो के
आज कुछ रंग है बदले
पर उस नौकर की है आज भी
पतलून वही ।
सवाल उठता है ज़हन में मेरे !
यह खुशियाँ कैसी ?
जो चंद लोगों के ही
बीच रही ।।

[क्या बदल रहा है]

हम तरक्की कर रहे हैं
हमारे देश का नक्शा
बदल रहा है
सबकी जुबां पर बस यही शब्द है
अरे भाई यह क्या चल रहा है
क्या सचमुच हमारे देश का नक्शा
बदल रहा है ?
यह हम किससे पूछे
फुटपाथ पर रहने वाले
उन गरीबों से
या सरहद पर मर चुके शहीदों से
या फिर पूछें
चाहरदीवारी के अंदर बैठे
उन महापरुषों से
जिन्होंने जमीं पर कदम नही रखें
बरसों से।
उन जर्जर किसानों से
बेरोजगार नौजवानों से ।
जी करता है पूछे
अपने आप से
अपनी माँ से और अपने बाप से।
हम तरक्की कर रहें हैं
या भूख से मर रहें हैं ?
दुनिया बदल रही है,
या उसी रफ़्तार से चल रही है ?
पिता जी का जवाब था –
बेटा सब कुछ बदल रहा है
पर सिस्टम वैसे ही चल रहा है।
अंतरदेशी और ग्रामोफोन तो चले गए
मोबाइल का भी नेटवर्क ढल रहा है ।
कल जिनके पास साइकिल थी
वही आज हवाई जहाज से भी उड़ रहा है
जो बिना जूतों के पैदल चला था
वह आज भी नंगे पांव चल रहा है ।
मैने सोचा सच
शायद कुछ बदल रहा है ।
सन्यासी साधना की जगह
वासना में मस्त है ,
मोक्ष नही
राजगद्दी के लिए व्यस्त हैं ।
सच यही बदलती दुनियां के
प्रतीक हैं ,
वही अच्छे हैं जो राजनीति के
सबसे नज़दीक हैं ।
जो चोर है
वही हवलदार का बेटा है,
जो इसकी जांच कर रहा
उसी ने तो बम फेंका है!
और मंत्री जी का फरमान
यही विकास का मौका है
जो कहते थे-
हम दुनियाँ बदल देंगें
जो राह दिखाओगे
उसी पर चल देंगें।
सच ये पाँच सालों में,
दुनियाँ तो नही
लेकिन खुद को ज़रूर
बदल लेतें हैं ।

परिचय
जन्म 1 अगस्त 1994
मलकनपुर, ऐरायन, फतेहपुर, उत्तर प्रदेश
संपादन – प्रवाह भित्ति पत्रिका (2013 -2019)
संपादित पुस्तक – चयनित हिंदी कहानियां ।
अन्य
सुभाषित ई पत्रिका ,अमर उजाला अखबार, माटी भित्ति पत्रिका, नामदेव पाक्षिक, द परिवर्तन इत्यादि में प्रकाशित आलेख व कविताएँ ।

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3 Comments

  • बहुत बढ़िया कुलदीप भैया,,,

    • शुक्रिया

  • Bahut achchha likha aapne
    Regards

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