चल ये दिन भूल जाते हैं

 चल ये दिन भूल जाते हैं

भारती प्रवीण ,दिल्ली

चल दोनों मिलकर यह वाला दिन भूल जाते हैं ,
जब कोई रूठे तो अपने ही होते हैं जो मनाते हैं ,
कुछ तेरे फसाने हैं कुछ मेरे गिले-शिकवे ,
भूल कर इस बेरुखी को अब नया सवेरा लाते हैं,
चल दोनों मिलकर यह वाला दिन भूल जाते हैं,
तन्हा सोचा कैसे खुद को तुमने,
मेरे साथ तेरा होना ही जीवन है ,
संग प्रेम से हमेशा था हमें तो रहना ,
मेरा प्रेम ही तेरा है गहना,
झूठी मुटी रूठना और मनाना,
ये केवल जुबानी बातें हैं,
मन से मन की दूरी अब तो हम भूल जाते हैं ,
तेरा होना ही होना मेरा है
संग सभी के भी तन्हा हम हो जाते हैं,
जब कभी भी खोजें तुझको
और सँग भी नहीं पाते है,
तुझसे जुड़ा है वही सच है रिश्ता जबसे तुझसे जुड़ा है
बाक़ी तो बस रिश्ते -नाते हैं
आ भी जा अब छोड़ नाराज़ी
था अपना मिलना रब की मरज़ी,
प्रेम से बंधना जब तो छोड़ खुदगर्ज़ी,
अब आकर रंजो ग़म मिटाते है,
चल दोनों मिलकर यह वाला दिन भूल जाते हैं

चाहत और फितरत का है खेल ये सारा
परवाह कर एक दूजे से संबंध सफल हो जाते हैं,
वक़्त कम स्नेह के पल
बता कैसे भुलाए जाते है
चल माफ कर दे एक दूजे को
दोनों मिलकर यह वाला दिन भूल जाते हैं
आज वह पिछला भुलाकर अब तक का नया इतिहास बनाते हैं
चल दोनों मिलकर यह वाला दिन भूल जाते हैं,
क्योंकि टूट गया उसे पूरा तोड़
जो बीत गया उसे अब वही छोड़ दो
चल दोनों मिलकर यह वाला दिन भूल जाते हैं
भूल कर इस बेरुखी को
जीवन का नया सवेरा लाते हैं।
चल दोनों मिलकर यह वाला दिन भूल जाते है…

भारती प्रवीण..✍️💕

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