जय शिवाजी

वो एक मराठा वीर था,
“जय शिवाजी”
जो ना किसीसे डरता था,
“जय शिवाजी”
भारत माँ का वो लाल था,
“जय शिवाजी”
जो कभी ना झुकता था।
“जय शिवाजी”
जीजाबाई का वो दुलारा था,
“जय शिवाजी”
शाहजी राजे की आंखों का वो तारा था,
“जय शिवाजी”
शिवनेरी में वो जन्मा था,
“जय शिवाजी”
सोलह सौ तीस का वो फ़रवरी महीना था,
“जय शिवाजी”
भालों से वो खेला था,
“जय शिवाजी”
सोलह साल में तोरणा जीता था,
“जय शिवाजी”
समर विद्या का वो ज्ञाता था,
“जय शिवाजी”
छापामार युद्ध भी उसको आता था,
“जय शिवाजी”
आक्रांताओं को पाठ पढ़ाया था,
“जय शिवाजी”
तीन सौ साठ दुर्गों पर कब्जा जमाया था,
“जय शिवाजी”
अकेला बघनखा से युध्द जीत कर आया था,
“जय शिवाजी”
सोलह सौ चौहत्तर में वो छत्रपति कहलाया था,
“जय शिवाजी”
हिंदवी स्वराज का वो प्रणेता था,
“जय शिवाजी”
अदम्य साहस का वो स्वामी था,
“जय शिवाजी”
नाहर सा वो फुर्तीला था,
“जय शिवाजी”
मातृभूमि का वो रक्षक था,
“जय शिवाजी”
भारत का वो गौरव था,
“जय शिवाजी”
हम उसको शीश नवाते हैं,
“जय शिवाजी”
जय शिवाजी का उदघोष लगाते हैं,
“जय शिवाजी”
“जय शिवाजी, जय शिवाजी, जय शिवाजी”
- डॉ राकेश कुमार सिंह, वन्यजीव विशेषज्ञ, कवि एवम स्तम्भकार