जीवन संगिनी -वक़्त आ गया चलती हूँ आंसू न बहा देना”
डॉ राकेश कुमार सिंह, वन्य जीव विशेषज्ञ, कवि एवं स्तम्भकार
वक़्त आ गया चलती हूँ;
अपना ख्याल रखना,
बस आंसू न बहा देना।।
सात फेरों में वचन दिया था,
जीवन भर साथ निभाऊँगी;
पर किस्मत को कुछ और मंजूर था,
माफ करना अब कभी ना मिल पाऊँगी;
हो सके तो माफ़ी के दो अक्षर,
मेरे कानों में सुना देना।
वक़्त आ गया चलती हूँ;
अपना ख्याल रखना,
बस आंसू न बहा देना।।
सन्दूक में रखा शादी का जोड़ा,
आज फिर से ओढ़ा देना;
अपने हाथों से एक बार फिर,
मांग में सिन्दूर लगा देना;
हो सके तो मेरी बिंदिया भी,
माथे पर सजा देना।
वक़्त आ गया चलती हूँ;
अपना ख्याल रखना,
बस आंसू न बहा देना।।
बेटा सदमे में लग रहा है,
उसे दिलासा दिला देना;
बहु के आँखों में आँसू हैं,
ज़रा सा समझा देना;
पोता “दादी उठो” बोल रहा है,
थोड़ा सा बहला देना।
वक़्त आ गया चलती हूँ;
अपना ख्याल रखना,
बस आंसू न बहा देना।।
बेटी ससुराल से अभी आएगी,
उसे ठांढस बंधा देना;
ये घर अब भी उसका है,
ये विश्वास दिला देना;
कभी-कभी अपने पास,
बेटी को जरूर बुला लेना।
वक़्त आ गया चलती हूँ;
अपना ख्याल रखना,
बस आंसू न बहा देना।।
अब जिन्दगी मुझ बिन जीने की,
आदत सी बना लेना;
मुझे भुला कर दोस्तों में,
अपना मन लगा लेना;
ज़िन्दगी के हर गम,
मुस्कुरा के अब भुला देना।
वक़्त आ गया चलती हूँ;
अपना ख्याल रखना,
बस आंसू न बहा देना।।
अब आप अकेले रह जाएंगे,
सुबह खुद उठने की आदत बना लेना;
थोड़ा सा खुद को शांत रखना,
अपनी जिद्द और रौब भुला देना;
अगर कोई कुछ कड़वा बोले,
हँस के हवा में उड़ा देना।
वक़्त आ गया चलती हूँ;
अपना ख्याल रखना,
बस आंसू न बहा देना।।
अब मीठा खाने से शायद कोई न रोकेगा,
परहेज की आदत बना लेना;
समय से दवाई खाना,
सुबह का काढ़ा खुद पका लेना;
जो बने वही खा लेना,
पकवान की सिफारिश अब भुला देना।
वक़्त आ गया चलती हूँ;
अपना ख्याल रखना,
बस आंसू न बहा देना।।
आपसे कभी कुछ ना मांगा था,
तीज-त्यौहारों पर बस एक दिया मेरे नाम का जला देना;
बच्चों संग मन बहलाते रहना,
अपने काम खुद करने की आदत अब बना लेना;
अब कोई मनाने नहीं आएगा,
इसलिये गुस्सा अब भुला देना।
वक़्त आ गया चलती हूँ;
अपना ख्याल रखना,
बस आंसू न बहा देना।।
सोचा था आपसे दूर कभी न जाऊंगी,
हर पल साथ बिताऊंगी;
पर ‘होनी’ से मजबूर हूँ,
आज अकेली चिर यात्रा पर निकल जाऊंगी;
कभी-कभी याद करके मुझे,
थोड़ा सा मुसकुरा देना।
वक़्त आ गया चलती हूँ;
अपना ख्याल रखना,
बस आंसू न बहा देना।।
-डॉ राकेश कुमार सिंह, वन्य जीव विशेषज्ञ, कवि एवं स्तम्भकार
10 Comments
दिल को छू लेने वाली पंक्तियां हैं, पढ़ते हुए आंखों से आंसू निकल पड़े
एक प्रयास है रिश्तों के महत्व को समझाने का
सादर धन्यवाद
धन्यवाद।
एक प्रयास है कि लोग जीवन साथी का महत्त्व समझें
बहुत सुंदर। भावुक कर देने वाली
बहुत धन्यवाद।
Bahut khubsurat or yatharth chitran…
Sadar dhanyawad
बहुत ही भावपूर्ण ऐसा लग रहा कि सामने चलचित्र की भांति सब घटित हो रहा है . मन भावुक हो गया
यह जज्बात आपके दिल में आए कहां से
बहुत ही भावपूर्ण ऐसा लग रहा कि सामने चलचित्र की भांति सब घटित हो रहा है . मन भावुक हो गया
यह जज्बात आपके दिल में आए कहां से
सादर धन्यवाद, आज कल के टूटते संबंधों को जोड़ने का प्रयास है।
सादर