डॉ अनीता सिंह पटेल की कविताएँ

 डॉ अनीता सिंह पटेल की कविताएँ

【जब पेट ख़ाली हो】

ज़रा भाषण कर दिखाओ
ज़रा चिंतन भी उड़ेलो
ज़रा आदर्श बघारो
तुम्हें चुनौती है!!!
हां चुनौती है
ये सब
कर दिखाओ
जब पेट खाली हो ।

【कल की ही तो बात】

अभी
कल ही की तो बात
है
कहा था तुमने
अंतहीन नहीं है
रेल की पटरियां
जल्द ही अंत होगा
इन पटरियों का
हमारी बस्ती पर
पर

…अरे
…यह क्या..!!!
अंत कर दिया
अनंतहीन पटरियों ने
जीवन का
अरमानों का
और दे दिया हमें एक
अंतहीन इंतजार …
फिर
कभी
मजबूर न होतीं
हमारी पीढ़ियां
तुम्हारी पनाह..को..
निष्ठुर पटरियों ..
काश…….
तुम कर देती अंत
हमारी भूख का भी…

【अंतड़ियां】

निरीहता .व्याकुलता
का भंडार
हम मजदूरों
का संसार
बस जद्दोजहद है
भूख
मिटाने की
परवाह नहीं
बीमारी से मिट जाने की
बड़ी जिजीविषा है
हमारे कुनबे में
पर धैर्य तोड़ देती हैं
रोटी के लिए कुलबुलाती
अंतड़ियां

【हम आज़ाद परिंदे】

दुनिया की दुर्धर्ष जंजीरों
की परवाह कहां की हमने।
बिना कर्म के मिल जाए कुछ
ऐसी चाह कहां की हमने।

कहां रोक पाई हैं हमको
जटिल रूढि़यों की बाधाएं।
कहां हमें सोने देती हैं
आंखों में हैं जो आशाएं।
हमको तो उन्मुक्त गगन में
उड़ना अच्छा लगता है
मंजिल पाने से पहले न
मुड़ना अच्छा लगता है
डर जाएं देवों के भय से
हम न वो वाशिंदे हैं
नित नव उन्नति पाने वाले
हम आजाद परिंदे हैं

【मुहब्बत】

खुदा की सब कायनात है मुहब्बत।
ज़मीं की आबे हयात है मुहब्बत।।
मुहब्बत न होती तो हम भी न होते
न शिकवा ही करते ना पलकें भिगोते
न संज़ीदा होकर तरन्नुम में गाते
न ऐसे ख़यालों में हम खो जाते
फ़कीरी की दौलत न समझो इसे
शहंशाह- ए -जज़्बात है मुहब्बत।
खुदा की सब क़ायनात है मुहब्बत।
ज़मीं की आब ए हयात है मुहब्बत।।
लबों पर खामोशी सिमट आए खुद ही
कि मन में कोई भी विचार न आए
अंधेरे में भी लगे रोशन है दुनिया
हृदय में कोई हर घड़ी गुनगुनाए
बिन बोले ही सब समझ में आ जाए
कि रूह से रूह की बात है मुहब्बत।
खुदा की सब क़ायनात है मुहब्बत।
ज़मीं की आब ए हयात है मुहब्बत।।