ध्यानचंद को भारत रत्न नहीं मिलना चाहिए ??
व्यंग्यकार रवींद्र कुमार जाने माने कवि और लेखक हैं ।भारतीय रेल कार्मिक सेवा के पूर्वअधिकारी रवींद्र कुमार भारत सरकार विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दी हैं और संयुक्त सचिव के पद से कार्यमुक्त हुए हैं ।अंग्रेजी और हिंदी में समान भाव से लिखने वाले लेखक की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ।
ध्यान चंद ? कौन ध्यान चंद ? कोई रिटायर्ड क्रिकेटर है क्या ? नहीं नहीं हॉकी का जादूगर है. हॉकी ? क्या क्रिकेट के इतने टैस्ट मैच, रणजी, वन डे, टी-20 के बाद हॉकी क्या इंडिया में अभी भी खेली जाती है ? इतनी छीछालेदर और दुर्दशा के बाद भी. क्या जूनियर, क्या सीनियर, क्या मैन्स, क्या वीमन्स सभी तो ड्रिबल करते करते न जाने कहां चले गये. लास्ट हॉकी ‘चक दे इंडिया’ में दिखी थी. उसमें भी ध्यान चंद तो कोई नहीं था. शाहरुख खान था. और शाहरुख को पहले ही बहुत सारे ईनाम मिल चुके हैं. फिल्म फेयर से ले कर पदमश्री तक. अभी भारत रत्न की उम्र नहीं है अगले की. एक-दो आम चुनाव में हमारे फेवर में एक्टिंग तो करे. चुनाव तो जितवाये तब सोचेंगे.
हाँ तो आप क्या कह रहे थे मेजर ध्यान चंद हॉकी के जादूगर थे. पर हुज़ूर अब तो माइनर का ज़माना है, मेजर का नहीं. लिटिल मास्टर . स्माल इज ब्यूटिफुल. जादूगर बोले तो पी.सी. सरकार टाइप ? हवा में से हॉकी पैदा कर देते थे. नहीं नहीं वे जब हॉकी खेलते थे तो जादू की तरह बॉल, गोल पोस्ट में घुस जाती थी. इसी से उनका नाम हॉकी के जादूगर पड़ा. हाँ वही तो जादूगर बोले तो और भी कितने जादूगर हैं जिनके खाने के वान्दे हैं. भारत रत्न क्या पदमश्री को भी तरस रहे हैं. याद नहीं एक मंत्री जी ने क्या कहा था “अब तो पदमश्री खाने वालों और गाने वालों को मिलता है” दद्दा जादूगर थे तो चयन समिति के मैम्बर्स पर जादू करना था. दद्दा को पता नहीं, अब न जाने कितने बड़े बड़े ‘दादा’ लोग इस पदमश्री के खेल में घुस पैठ करके फॉर्वर्ड फ्रंट पर खेल रहे हैं. असल में दद्दा दद्दा ही रह गये और नाती-पोते देखते-देखते ‘दादा’ बन गये. पीछे कॉमंवैल्थ गेम में देखी नहीं थी उनकी दादागिरी. पी.सी.सरकार, गोगिया पाशा इतने बड़े बड़े जादूगर थे उन्हें तो किसी को भारत रत्न मिला नहीं. भारत सरकार ने तो दिया नहीं. खुद हवा में से पैदा कर लिया हो तो ‘हमें बेरा कोई नी’
हमारा भी क्या दोष ? ध्यानचंद जी ने कोई मॉडलिंग की ? नहीं की. कोई विज्ञापन ? कोई एंडोर्समेंट ? नहीं कोई नहीं. देश विदेश में कोई वी.आई.पी. या एन.आर.आई. फैन फॉलोइंग ? कोई फैन क्लब, कोई मंदिर. कभी नाम किसी वारदात में जुड़ा. नहीं जुड़ा. तब क्या. वो तो कोई रीजनल बोले तो लोकल टाइप स्पोर्ट्समैन रहे होंगे. जब आप नहीं जानते, हम नहीं जानते तो और जानेगा कौन ?. आप उम्मीद भारत सरकार से कर रहे हैं कि वो जाने. अंग्रेजों के ज़माने के कोई खिलाड़ी रहे होंगे. अंग्रेज गये सब, किस्सा खत्म. ज्यादा तीन पांच करोगे तो अभी हिटलर से उनकी साँठ गाँठ का पर्दाफाश कर देंगे. हफ्तों टी.वी. चैनल पर चला देंगे. टी.आर.पी. रेटिंग बढ़ती जायेगी और ध्यान चंद पर कोई ध्यान भी नहीं देगा.
अच्छा बाई दि वे ये बताओ उन्होने शादी किस से की थी. किसी विदेशी से ? नहीं ? तो फिर किसी एक्ट्रैस से या मॉडल से ? नहीं. भई ऐसे नहीं चलेगा. खुद ने भी मॉडलिंग नहीं की, न ही फैमिली में किसी ने की. गुमनामी में तो रहना ही है. और आप बात करते हो भारत रत्न की. अरे भैया भारत में कोई पहचानता भी है ? झांसी में स्टेडियम का नाम रख देने से कोई भारत रत्न थोड़ो मिल जाता है.
अच्छा ये बताओ उनकी कनवैसिंग कौन कर रहा है ? आई मीन उनके लिये सपोर्ट ..कनविंसिंग का काम किस एड एजेंसी को दिया है. किसी को नहीं ? फिर काहे का भारत रत्न ?.उनके वारिस ने कोई कॉकटेल दिया. कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस, कोई पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन किया. फेसबुक, ट्वीटर कम्यूनिटी क्या कह रही है ? हाई कमांड की क्या राय है. कोई बयान विरोध में सुनाई नहीं पड़ते. बैड पब्लिसिटी इज बैटर दैन नो पब्लिसिटी. और अगर उनका कोई बयान नहीं है तो ज़ाहिर सी बात है कि अभी वे इतने विवादास्पद नहीं हुए हैं कि भारत सरकार उनके नाम पर भारत रत्न पर विचार करे.
अच्छा ये बताओ जब वो खेलते थे तो उनका नाम किसी एक्ट्रेस से जुड़ा ? कोई कंट्रोवर्सी हुई. नहीं न. शादी एक किये थे या दो ? आई मीन कोई डाइवोर्स कोई लफड़ा. कुछ भी नहीं. तनिक भी नहीं.कोई और बैक रूम कंट्रोवर्सी, कोई तौलिया,कोई बॉल घिसने या ग्रीस लगाने का केस. कोई फिक्सिंग ? कुछो नहीं. तब तो भाई बहुत बहुत सॉरी है. भारत रत्न के कोनौ नियम-कायदे हैं. भारत सरकार नियम कायदे से बंधी है. ऐसे थोड़ो जिसे चाहें भारत रत्न बाँटती फिरेगी.
बैटर लक नैक्स्ट टाइम….इन नैक्स्ट गवर्नमेंट और बैटर स्टिल… इन नैक्स्ट बर्थ.