पहली सी प्यास

सीमा पटेल

हाँ मुझे पसंद है ,,
तुम्हारा मधुर स्पर्श
क्योंकि ….
लिए थे मैंने तुम्हारे संग
अग्नि के सात फेरे
खाई थी कस्में,
कुछ तुमने और कुछ मैने
भरी थी माँग तुमने
प्रेम के सिंदूरी रंग से
हाथ पर हाथ रखकर
हुआ था अपना,
“पाणिग्रहण संस्कार”
लेकर आये थे दुल्हन के रूप में
मुझे , तुम अपने घर में
तब बजी थी ढोलकी,
स्वागत में मेरे
गाये थे मंगल गीत सबने
तब देखकर रौनक
तुम्हारे घर की
झूमा था खुशी से मन मेरा
इस आँगन में पग रखते
लगा मन को कि
अब एक नहीं अब तो दो घर है मेरे
एक नही दो पिता है मेरे
तुम्हारे भाई, बहन सभी तो लगे
मुझे अपने से
तब ….
मान लिया था
तुम्हारे घर को भी अपना घर
जैसा प्यारा
और फिर …
अपनाया था जिस दिन तुमने, सम्पूर्ण तन-मन से मुझे
तब तुमने भी कहा था,
प्रिये !!
तुम मेरी दुनिया हो

मैं…
तब से और आज़ तक बँधी हूँ तुम्हारे उसी प्रेम में
तुम ही हो मेरा सारा जहां
ज़िन्दगी की धूप-छाँव में
रहना है संग संग
और, हाँ आज भी तुम
मेरी प्यास हो
उस पहली रात सी ,,,,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *