प्रकृति

 प्रकृति

अरी
सुन री
गुलाबो
कभी-कभी
तेरी ये बला की
“खूबसूरती”
विस्मित कर देने वाली
मूक प्रेयसी जैसी दिखती है
जो सिर्फ स्मित को ह्रदय
में प्रश्रय देती है
और पलकों के
तटबंधों में आकर
चूमकर कहती है
प्रेमनयन-जलधार
में बहा ले चल
भिनसार
के अवसान होंने से पूर्व
या फिर
मेरे ह्रदय के
परिमल में
मिटा दे अपनी अधूरी पहचान .. !!

–सीमा पटेल

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