प्रकृति

विस्तृत इस हरियाली में,
कौन अकेला खेल रहा है!
अरुण प्रभा की लाली में?
कुसुमित मधुमय प्याली में…..
नव प्रवाल की डाली में,
कलियों की कोमलता में,
किसकी पूजा में रत है?
फूलों को ले थाली में…..
रगं, रुप , सुरभि सौरभ,
रंजित मुकुलित गात लिए,
कुसुमों का मकरंद लिए,
भौंरों की सौगात लिए,
किसे रिझाये ये पल पल?
अधरों पे यूँ हास लिए…..
श्वेता सिंह