प्रार्थना
तेज प्रताप नारायण
किसी देवी देवता की आरती ,
पूजा करना
मूर्तियों के सामने हाथ जोड़ना
खुदा के सामने सजदा करना
ही प्रार्थना नहीं होती
असली प्रार्थना
एक शुभकामना होती है
किसी प्रिय के स्वास्थ्य और सफलता की
मानसिक कामना होती है
असली प्रार्थना के लिए
किसी मंदिर
मस्जिद या गिरजाघर की ज़रूरत नहीं होती है
सच्ची प्रार्थना की जा सकती है
कभी भी
कहीं भी
एक सकारात्मक ऊर्जा होती है
सच्ची प्रार्थना
जो प्रकाश की गति से चलती है
बिना किसी मध्यस्थ के पहुंचती है
असली प्रार्थना में
नहीं होता
कोई शोर शराबा
या कोई दिखावा
प्रार्थना में
बस एक भावना होती है
असीम संभावना होती है ।