माँ
Young poet Abhishek Patel works with Allahabad bank and belongs to Kanpur.
जब –जब दुनिया ठुकराती है I
तब माँ याद तुम्हारी आती है I
ये दुनिया अबूझ पहेली है I
जब चाही मुझसे खेली है I I
ये जीती ,हरदम मैं हारा I
छला गया माँ तेरा प्यारा I I
जब प्यार किया नफरत ही पायी ,
नफरत करने वालों पर माँ ये दुनिया प्यार लुटाती है I
जब –जब दुनिया ठुकराती है I
तब माँ याद तुम्हारी आती है I I
तूने मेरे कारण अपना सुख चैन भी खो डाला I
जब भी दिल को ठेस लगी चुपचाप कही पर रो डाला I I
खुद भूखी रह कर मुझको तृप्ति का एहसास दिया I
माँ तेरे आँचल ने मुझको जन्नत का आभास दिया I I
खुदा बनने की खातिर ,भटक रहे सब इंसान यहाँ
पर तेरी दुआ मुझे सच्चा इंसान बनती है I
जब –जब दुनिया ठुकराती है I
तब माँ याद तुम्हारी आती है I I
माँ तू बिन बोले मेरे दर्द को जाने I
बाकी अपने होकर भी है बेगाने I
ग़म को सहना कुछ न कहना I I
माँ तेरा जीवन कुदरत का गहना I
खुदा की खुदाई को ,जरूरी है सजदा :
पर माँ के वास्ते कभी क्या जुबान भी खोली जाती है I
जब –जब दुनिया ठुकराती है I
तब माँ याद तुम्हारी आती है I I
कुदरत का दुर्लभ उपहार है, तू I
सारे जग की ममता का द्वार है, तू I I
प्रेम दया वात्सल्य उपकार सर्व हित ,
माँ सारे सद्गुण तुझमें निहित I
अम्बर धरती चाँद तारे फूल और कुदरत ;
पर माँ को “अभी” कोई कविता कहाँ शब्दों में बन पाती है I I
जब –जब दुनिया ठुकराती है I
तब माँ याद तुम्हारी आती है I I