मैं लिखूंगी एक कविता

 मैं लिखूंगी एक कविता

सीमा पटेल,दिल्ली

आज कुछ तसल्ली से बैठी थी
सोचा,,,नींद पूरी है, मन उत्साहित है,
सर भी हल्का है, कोई हड़बड़ी नहीं
तो लिख दूँ एक अच्छी कविता

तुम्हारी भी आज छुट्टी है
घड़ी की चाल से भी आज खुट्टी है
वर्ना, रसोईघर में टंगी घड़ी
रोज ठक-ठक सर में हथौड़े
बजाया करती है।
बोलती भी है कि जल्दी करो
देर हो रही है ऑफिस जाना है
स्कूल जाना है
खाना नहीं बना, चाय नहीं बनी
अरे ध्यान किधर है, देखो पतीले से दूध भी फैल रहा है
नमक दो बार डल गया
ओह जहर हो गया
कौन खाएगा
सब डस्टबिन में जायेगा।

सुन…री …घड़ी ..!!
आज नहीं देखूंगी तुझको ,,,
आज लिखूंगी एक कविता
आज मैं बहुत खुश हूँ ,अरसे बाद।

सुनो ! चाय तुम बना लेना
जा रहीं हूँ आज हवाओं से बात करने
गार्डन में चेयर डाल कर
फूलों से, तितलियों से, चिड़ियों से उनका भी हाल पूछनें
क्या वो भी मदद करेंगे
मेरी कविता को लिखने में
हाँ, आज लिखूंगी एक कविता
आज मैं बहुत खुश हूं…

टेबल पर रखे, दो चाय के प्यालों में
सूरज की लालिमा चाय के सौदर्य को और भी मुग्धा बना रही है

सुबह कि मद्धिम ठंडी हवा
तुम्हरे हाथ के अखबार को
हौले से सहला कर कुछ कह रही है
ज़रा सुनो …
छोड़ दो ये दुनियाभर की
झूठी खबरों को पढ़ना
पढ़ो मुझे , मैं प्रकृति हूँ
महसूस करो मैं हवा हूँ
आनंद लो मेरा मैं खुश्बू हूँ
रीझो मुझ पर मैं कली हूँ
पकड़ो मुझको मैं तितली हूँ
देखो…
ये सब तुमको बुलाते है रोज
बिल्कुल मेरी तरह
…!!

क्या तुम भी मदद करोगे
मेरी कविता को लिखने में
आज मैं बहुत खुश हूं
मैं लिखूंगी एक कविता
प्रेम पर भी ।

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