रीना गोयल की ग़ज़ल

मैं बडी क्या हो गयी दुश्मन ज़माना हो गया
एक मेरा ही बदन सबका निशाना हो गया

कस रहें हैं फब्तियाँ सब राह में होकर खडे
रोज उस रस्ते से सबका आना जाना हो गया

तकते हैं यूँ घूर के जैसे मैं उनकी मल्कियत
हर कोई मेरी नज़र का ही दिवाना हो गया

कब तलक फेरूं निगाहें कब तलक छिपती रहूँ
सब्र मेरा सब किसी का आज़माना हो गया ….!!

नोचनें को हैं खडे बेशर्म मुस्कुराहट मेरी
अश्लील गीत और सीटियाँ उनका तराना हो गया …!!

लाख कर लूँ मिन्नतें पर कौन सुनता है मेरी
मुश्किल इन वहशियों से इज्जत बचाना हो गया ..!!

पूछती हर क़ौम से क्या है गुनाह मेरा कहो
क्यूँ हुये बेखौफ सब कैसा ज़माना हो गया ….!!