सत्ता का संतुलन
Vijay Gautam ‘मूकनायक’
अभूतपूर्व,
भरपूर,
कई देशों के लिए मिशाल,
चुनौतीपूर्ण,
सामूहिक शक्ति,
एकजुट होकर,
सामूहिकता,
130 करोड़ लोग,
इतनी बड़ी लड़ाई,
विराटता,
भव्यता,
विद्वता,
ईश्वर का रूप,
जनतारुपी महाशक्ति,
विराट स्वरूप,
अंधकार के बीच,
निरंतर,
प्रकाशमय
सबसे ज्यादा प्रभावित,
निश्चितता,
प्रकाश का तेज़,
संकट का अंधकार,
चुनौती,
प्रकाश की ताकत का परिचय,
महाशक्ति का जागरण,
महासंकल्प,
नई ऊंचाइयां,
प्रकाश की महाशक्ति का एहसास,
एक ही संकल्प के साथ,
कृतसंकल्प
रामबाण इलाज,
संकट की घड़ी,
जीतने का आत्मविश्वास,
उत्साह,
दुनिया भर में,
साथ आकार, साथ मिलकर
विजयी बनाए…
आदि आदि..
जैसे तमाम विशेषणों और शब्दों की जरूरत होती है,
ताकि सत्ता का संतुलन बनाए रखा जा सके,
महामारी,
भुखमरी,
बेरोजगारी,
अवैज्ञानिकता,
अंधविश्वास,
और
अपनी नाकामियों के साथ.
~~