समाज में व्याप्त बुराइयाँ

धर्मेश कुमार
[ नशा ]
नशा किसी भी समाज या देश के लिए बहुत ही घातक है। हमारे देश में कई प्रकार के नशीले पदार्थ किसी को भी बहुत आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। शराब, स्मैक, अफीम, हेरोइन, तंबाकू, सिगरेट, भांग, चरस, गांजे और पान मसाला आदि। पिछले कुछ वर्षों में सिगरेट, तंबाकू और शराब के व्यापार में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी हुई है। शराब ने ना जाने कितने परिवार उजाड़ दिए हैं। गाँव देहात में कच्ची शराब पीने से मरने वालों की खबरें तो आम है। एक अनुमान के अनुसार भारत के एक जिले में प्रति वर्ष लगभग 15 लाख लीटर देशी और 5 लाख लीटर अंग्रेजी शराब बिकती है। ये वो आंकड़ा है जिसमें कच्ची शराब को शामिल नहीं किया गया। है। कच्ची शराब पुलिस और आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। जो हजारों जिंदगियों को निगल रही है। 20-25 साल पहले भारत में सिगरेट का डिब्बा कुछ रईसों की जेब में ही मिलता था लेकिन अब बच्चे-बच्चे की जेब में सिगरेट है। अब तो महिलाएं भी सिगरेट और शराब पीने लगी हैं। WHO ने भारत को आगाह किया है कि तेजी से बढ़ रहे स्मोकर्स की संख्या को रोकने का प्रयत्न नहीं किया तो हालत बहुत खराब हो सकती है। सिगरेट पीने के मामले में भारत दुनिया में 7वें नंबर पर है। तंबाकू का गुटखा खाने वाले तो गाजर घास की तरह फैले हुए हैं। हर दो कदम पर पान की दुकानें हैं। हमारे देश में पानमसाला खाने वालों की संख्या जिस स्पीड से बढ़ रही है उससे हम बहुत जल्द विश्व में पहले स्थान पर पहुँच जाएंगे। देश की युवा पीढ़ी बहुत तेजी से नशे की शिकार हो रही है। जिसका एक मुख्य कारण फ़िल्म जगत की हस्तियाँ है जिनको युवा अपना रोलमाडल मानता है। पिछले कुछ वर्षों में फिल्मों में नशा और गाली आम बात हो गई है। फिल्मी हीरो पैसा कमाने के लिए शराब, सिगरेट, पान मसाले आदि के प्रचार से भी गुरेज नहीं करते हैं। जिससे युवा पीढ़ी नशे की ओर आकर्षित होती है। जिस देश की युवा पीढ़ी नशे में डूब जाएगी उस देश सत्यानाश हो जायेगा। अधिकतर अपराध नशे की हालत में ही होते हैं। अभी भी समय है कि हम अपने युवाओं को नशे से बचाने के लिए प्रयास करने चाहिए। स्कूल और कालेजों में नशे के दुष्परिणाम और भविष्य जैसे विषयों पर परिचर्चा और व्याख्यान होने चाहिए। सरकार और समाज द्वारा नशा उन्मूलन निगरानी समितियों का गठन किया जाना चाहिए। जो लोगों को नशे के प्रति जागरूक करने का काम करें और नशा करने से रोकें।
[ ज्योतिष का व्यापार ]
सर्वप्रथम मैं यह स्प्ष्ट कर करना चाहता हूँ कि मैं उस ज्योतिष विद्या का विरोधी नहीं हूँ जो एक खगोल विज्ञान है। जो सर्वथा वैज्ञानिक है। परन्तु जो वर्तमान में ज्योतिष का प्रचलित रूप है। उससे लोगों में भ्रम और वहम ही फैल रहा है ना कि लोगों को सही ज्ञान। आजकल के ज्योतिषियों द्वारा लोगों को ठगा जा रहा है। कुछ तो महान ज्योतिषाचार्य लोगों से हजारों रुपए तक वसूलते हैं उससे भी किसी को कुछ भी फायदा नहीं होता है। ज्योतिष धर्म से अलग है। जो आजकल एक सामाजिक बुराई बन गई है। आज हमारे देश में लाखों की संख्या में एस्ट्रोलॉजर या टेरो कार्ड विशेषज्ञों भरे पड़े हैं। जो पूरे देश को आत्मविश्वास की कमी से ग्रसित करने में सक्षम हैं। देश के कुछ महान ज्योतिषी आजकल टीवी चैनलों के माध्यम से भी जनता को भरमा रहे हैं। इन तथाकथित ज्योतिषाचार्यों का धंधा खूब फल फूल रहा है। जिसका एक मुख्य कारण समाज का अशिक्षित होना है। इन तथाकथित ज्योतिषियों के कारण हमारे देश की जनता वहम और अंधविश्वास के गर्त में समाती जा रही है। आज का ज्योतिष सिर्फ़ जनता को अंधभक्त, आडंबरी, अलसी और नाकारा बना रही है। जो समाज की उन्नति में अवरोधक है। ज्योतिष या ग्रह-नक्षत्रों को मानने वाला व्यक्ति खुद पर कभी विश्वास नहीं रखता है। जिस कारण वह अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य नहीं कर पाता है। ज्योतिष की विद्या धीरे-धीरे हमारे समाज और देश को खोखला कर रही है।