हवाइटिंग

तेज प्रताप नारायण
(इनके व्यंग्य कुछ अलग ही मसालों से बनते हैं जिनके टी वी पर ऐड आने शुरू नहीं हुए हैं ।अगर पाचनशक्ति मज़बूत हो तो बढ़िया और नहीं मज़बूत है तो बहुत बढ़िया ।हर प्रकार से इनके व्यंग्य आपके हाज़मे को दुरुस्त करेंगे । यह भी पक़्क़ा है कि बहुतों को मिर्ची लगेगी लेकिन मिर्ची लगेगी तो हम क्या करें ?)
करीना कपूए की ज़ीरो फिगर के बहुत लोग कायल हैं और घायल हैं । (करीना से माफ़ी सहित ) । अब आप यह मत कहिएगा कि नाटी at 40 की वज़ह से ऐसा कह रहा हूँ । No naughtiness in my statement .. Actually now fourty is new 20 & seventy is new fourty. तो इस पूरे व्यंग्यात्मक लेख को न्यू ट्वेंटी वाली नज़र से देखिएगा ।
तो मैं करीना की बात कर रहा था ।
उस दिन एक हाई फाई माल में कोई बाला दिख गई जो ज़ीरो फिगर को भी मात दे रही थी ।मन में यही विचार आया कि लड़कियां फिगर बनाने के लिए चुड़ैल क्यों बन रहीं है।ज़ीरो फिगर तक तो ठीक था ।यहाँ तो नेगेटिव फिगर था ।पेट से पीठ मिला जा रहा था बिल्कुल सूखी हड्डी की तरह । मन के विचार लड़कियों के बारे में आपस मे कबड्डी खेल रहे थे कि तभी एक लड़का भी नेगेटिव फिगर में दिख गया ।ख़ुद पर बड़ी शर्म आई कि लड़कियों के बारे में कैसी अवधारणाओं को दिमाग़ में जगह दे रखी है ? लड़कियों के बारे में ही क्यों और भी बहुत सारी चीज़ें कचरे की तरह दिमाग़ में भरी हैं जो वस्तुओं,स्थितियों और व्यक्तियों को जज़ करती रहती है ।जिसमें लाखों जूल ऊर्जा का अपव्यय कर देते हैं। यह भी अच्छा लगा कि ज़ीरो या नेगेटिव फिगर सिर्फ़ लड़कियों के लिए ही नहीं रह गया ।अब लड़के भी ज़ीरो फिगर या नेगेटिव फिगर को लालायित दिखते हैं। जेंडर गैप कम हो रहा है अच्छी बात है ।क्या पता कि कुछ सालों में लड़के भी स्कर्ट और टीज़ डालकर चल रहे हों । हर किसी को ख़ुश रहने का अधिकार है । फिर शरीर कैसे ढका है ,डज़ नॉट मैटर । ना भी ढका हो तो क्या फ़र्क़ पड़ता है ?आख़िर ब्यूटी लाइज इन द आईज ऑफ बीहोल्डर ।अगर ऐसा न होता तो छोटी सी बच्ची और 80 साल की वृद्ध महिला के साथ कोई कुकर्म करने का दुस्साहस नहीं करता ।
अब पता नहीं नेगेटिव फिगर को लोग कैसे बनाते होंगे ? मतलब क्या खाते होंगे ?क्या पीते होंगे ? मन मे विचार आया कि हवा पर तो नहीं ज़िन्दा हैं यह लोग ? क्या पता श्वसन नलिका से कुछ हवा फ़ूड पाइप में डाइवर्ट कर देते हों ?
लगता है यदि लोग हवाइटिंग करने लगें तो बहुत सारी समस्याएं हल हो जाएंगी ।सबको हवा की आपूर्ति हो पाएगी या पृथ्वी की 90 प्रतिशत हवा भी नौ लोगों के कब्जें में आ जाएगी और बाक़ी आबादी इनके रहमोकरम पर।
ऐसा तो नहीं कि लोग पूरा का पूरा आकाश खरीद लेंगे ।ज़मीन की कोई क़ीमत नहीं होगी ।जो जितना हवा-हवाई उसकी उतनी ही ज़्यादा कमाई ।
जीडीपी की जगह ग्रॉस हवा प्रोडक्ट का इस्तेमाल होगा ।जिस देश के लोग जितना ज़्यादा हवाइटिंग करेंगे वह उतने ज़्यादा समृद्ध जाने जाएंगे।अपना देश तो वैसे भी हवा हवाई में बहुत ज़्यादा आगे रहा है । अपने एक भगवान जी हैं वे तो हवा के पुत्र ही हैं । क्या पता वे हवाइटिंग ही करते रहे हों ? एक बार तो वे हवाईटिंग करते- करते सूरज के पास तक पहुँच गए थे ।इतनी अच्छी हवाइटिंग परम्परा वाले देश मे आज लोग मोटापे के शिकार हैं ।
पेट थुलथुलम,हाथ थुलथुलम और पाँव भी थुलथुलम
आलसी लोग करते रहते हैं ख़ुद पर बड़े-बड़े जुल्म ।
क्या किया जाए ? अपना देश ही अंतर्विरोधों का देश है ,विविधताओं का देश है ।नेगेटिव फिगर, जीरो फिगर और पॉजिटिव फिगर सारे तरह के लोग मिलते हैं। तो आप चाहे डाइटिंग करें या हवाइटिंग करें ,क्या फ़र्क़ पड़ता है ? लोकतंत्र है जिसकी जैसी मर्ज़ी । यह अलग बात है कि जिस तरह चीजें बदल रहीं हैं क्या पता कोई और तन्त्र आ जाए ।अभी लोक की ज़रूरत है तो लोकतन्त्र है ।कल को हो सकता है डेटा तंत्र हो जाए जिसके पास अधिक डेटा ,उसका बहुमत । जिस दल का डेटा मैनेजमेंट अच्छा वह पार्टी सत्ता में ।डेटा ,लोक को पूरी तरह से विस्थापित कर दे ।डेटा प्रबन्धन से जो जितना ज्ञान,सूचना प्राप्त करेगा वही देश पर राज करेगा ।किस जगह अच्छी हवा है या कौन सा पेड़ कितना ऑक्सीजन दे रहा है ? कौन कितना हवाइटिंग कर रहा है ?
हवाइटिंग करना है तो ज़रूरी है कि हवा और,पर्यावरण को स्वच्छ रखा जाए ।तो मॉडर्न लड़के और लड़कियों ,अगर फिगर अच्छी रखनी है कि निगाह फिसल जाए और दिमाग़ सरक जाए तो पर्यावरण को द गॉड मानो ।यह गॉड तभी आपको बचा पाएगा जब आप इसे बचाओगे ,मतलब म्यूच्यूअल कोऑपरेशन ।
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बहुत सटीक विश्लेषण व आंकलन सर