सतीश कुमार सिंह पुराना काॅलेज के पीछे , जांजगीरजिला – जांजगीर-चांपा ( छत्तीसगढ़ ) 495668मोबाइल नंबर- 94252 31110 छायावाद और छायावादोत्तर काल से लेकर समकालीन हिंदी कविता तक लंबी कविताओं का एक दौर चलता रहा है और आज भी नये पुराने सभी रचनाकार समय समय पर इसमें हाथ आजमाते रहे हैं । इसमें कोई दो […]Read More
_तेज प्रताप नारायण बक्सर, बिहार के #लक्ष्मीकांत मुकुल वैसे तो विधि स्नातक हैं लेकिन खेती-किसानी में ही उनका मन रमता है । ‘घिस रहा है धान का कटोरा’ उनकी एक लम्बी कविता है ।लम्बी कविताएँ वैसे भी इस भागती दौड़ती ज़िन्दगी में कवि कहाँ लिखते हैं और जो कुछ लिखी भी जा रहीं है वे […]Read More
आलोचक :सन्तोष पटेल अन्तरवृर्तिनिरूपमयी भाव सार्वभौमिकता से जुड़ा है। यानी ऐसा गीतिकाव्य जो व्यष्टि से समष्टि का भाव गेयता के साथ कांता सम्मत उपदेश वाली भावना से दूसरों तक सहजता से सम्प्रेषित हो। प्रो गमर ने गीतिकाव्य के बारे में लिखा है कि वह अन्तरवृर्तिनिरूपमयी कविता है जो व्यक्तिक अनुभूति से आगे बढ़ती है। डॉ […]Read More
सिद्ध कवियों की संख्या 84 थी। नाथों की 9 थी। सिद्ध और नाथ कवियों में सर्वाधिक शूद्र थे। मछुआरे, चर्मकार, धोबी, डोम, कहार, दर्जी, लकड़हारे और बहुत से शूद्र कहे जाने वाले कवि थे। रामचंद्र शुक्ल ने इनकी कविताओं को सांप्रदायिक माना और लिखा कि सिद्धों और नाथों की कविताएँ शुद्ध साहित्य नहीं है। अर्थात […]Read More