तेज प्रताप नारायण ,समकालीन कविता में हस्तक्षेप रखने वाले रचनाकार हैं जिनकी रचनाओं में इंसान और इंसानियत के साथ समूची प्रकृति को बचाने की जद्दोजहद दिखाई पड़ती हैं ।उनकी चिंता हाशिए के लोग हैं । वे समाज मे उनका खोया हुआ स्थान दिलाना चाहते हैं। उनकी कविता संघर्ष की कविता है,प्रकृति की कविता है । […]Read More
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दुष्यंत कुमार का जन्म 1 सितम्बर, 1933 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के गांव राजपुर नवादा में हुआ था। उनका पूरा नाम दुष्यंत कुमार त्यागी था। उन्होंने इलाहबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी। शुरुआत में वे परदेशी के नाम से लिखा करते थे, किन्तु बाद में वे अपने ही नाम से लिखने […]Read More
गोंडा ,उत्तरप्रदेश की युवा कवयित्री अनुराधा मौर्या की कविताएं आधी आबादी की गूँजती आवाज़ हैं जो मानो समाज को,परिवार को झकझोर देना चाहती हों ।Email-anupearl2018@gmail.com [ समाज के अजीब समीकरण] मैं उलझ पड़ती हूँ ! समाज के उन अजीब समीकरणों में जिनमे लड़को के लिए दो और दो चार पर मेरे लिए सिर्फ तीन ही […]Read More
शिक्षा :एम ए ,एम फिल, पीएच डी,कलकत्ता यूनिवर्सिटी विशेषज्ञता – स्त्री-विमर्श, समकालीन कविता, अनुवाद, साहित्यिक आलोचना.विशेषज्ञता – स्त्री-विमर्श, समकालीन कविता, अनुवाद, साहित्यिक आलोचना. पन्द्रह वर्ष शिक्षण का अनुभव 2016 – वर्तमान, असिस्टेंट प्रोफसर, प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय, कोलकाता.2012-2016 विद्यासागर विवि., पश्चिम मेदिनीपुर,2008-2012 कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज, कोलकाता,2003-2008, विभिन्न कॉलेजों में आंशिक प्रवक्ता पुरस्कार/सम्मान• गोदावरी देवी स्मृति पुरस्कार, 2018, […]Read More
प्रकाशित कृतियाँ:– कविता की सहयात्रा में, सूखी नदी, उदास आँखों में उम्मीद, अवसाद पक्ष, अरे भानगढ़(कविता संग्रह ),हर्फ़ दर हर्फ़ (ग़ज़ल संग्रह) तथा मेरे सहचर::मेरे मित्र(संस्मरणात्मक रेखाचित्र) [ ऐन उसी वक़्त ] झपट्टा मारने के लिये फड़फड़ा रहा है बाज़ कबूतरों ने आँखें मूंद ली हैं शुतुरमुर्गों के सिर ज़मीन में धँस रहे हैं मोर […]Read More
बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के एक गाँव हरपुर में जन्म । संप्रति: आजीविका हेतु पश्चिम मध्य रेल, जबलपुर में कार्यरत अक्षरा,आवर्त,समकालीन परिभाषा,वागर्थ,समकालीन भारतीय साहित्य पत्रिकाओं में तथा समकालीन जनमत के वेबसाइट पर कविताएँ प्रकाशित,हंस,धर्मयुग ;संडे ऑब्जर्वर, में वैचारिक आलेख प्रकाशित ! मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के मंचों पर काव्य-पाठ, गणेश गनी के संपादन में […]Read More
आजकल जब कविताएँ छंद मुक्त और मुक्त छंद में ज़्यादातर लिखी जा रहीं हैं ऐसे में हरियाणा की रहने वाली कवयित्री रीना गोयल की विभिन छंदों में रची जाने वाली कविताएँ पवन के शीतल झोंके के समान हैं । [1] कुहुक- कुहुक कोयलिया बोले उपवन-उपवन शाखा- शाखा ,कुहुक- कुहुक कोयलिया बोले । मीठे- मीठे गीत […]Read More







