तेज प्रताप नारायण अब भी याद आ जाते हैं प्रेमचंदउनका गबन और गोदानउनका गोबर,होरीधनिया ,झुनियामाता दीन और सिलियामालती और मेहतासमाज की विषमता होरी की एक गाय के लिए तड़पज़मीदार,महाजन और पुरोहित की आपसी एकता और झड़पसत्ता और शासन के लिए फैलाया गया प्रदूषित विचार साँस का जाम हो जानाएक किसान की ज़िंदगी हराम हो जानासुबह […]Read More
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प्रमुख कृतियां- अब तक तीन पुस्तकें स्वतंत्र रूप से प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें से ‘मादा ही नहीं मनुष्य भी’ स्त्री विमर्श पर आधारित है और दूसरी पुस्तक ‘समय से परे सरोकार’ समसामयिक विषयों पर केंद्रित है। तीसरी पुस्तक ‘ताल ठोक के’ कविता संग्रह है। इनके अतिरिक्त दो कविता संग्रहों में रचना प्रकाशित होने के […]Read More
शाक्य बीरू ‘ एन्टी वायरस ‘ खालीपन से भरा था यह जीवनखिल उठा था मनउनके आने कीआहट मात्र से हीख्वाहिशें.. धड़कनों के मचान परकरने लगी थी खिलदंड़उमंगें मचलने लगी थींज्वार भाटे की तरहतरंगें उठने लगी थींऔरख्वाबों के चिलमन से झांकतीउनके मोहब्बत की खुश्बूजगाने लगी थीसुप्त पड़े अरमानों को मेरेपर..उनके ठहरे जज्बातया किसी कसमें-वादोंकी जंजीरों नेलगा […]Read More
कवि वासुकि प्रसाद “उन्मत ” की कविताएँ जन पक्षधरता की कविताएँ हैं जिनमे गहरे प्रतिरोध के स्वर दिखते हैं । आप भी पढ़िए । जनता की जनवादी आवाज़ कोरिहा करोरिहा करो जनता की कविता कोजनता के कवि को रिहा करो जनता के साहसी प्रतिपक्ष को षडयंत्र के तहत जनता की अभिव्यक्ति कोसीखचों में जकड़ करख़ुद […]Read More
युवा कवि और दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से स्नातक ,टाटा पावर में कार्यरत पंकज पटेल ‘प्रयाग ‘ की कविताएँ आधुनिकताबोध की समसामयिकता वाली कविताएँ हैं जिसमें तत्कालीन समाज का दर्द दिखाई पड़ता है ।। कर्मचारी हूँ रोज नौकरी करने जाता हूँ | सुबह आशाओं की पुड़िया जेब में डाल, किसी की पढ़ाई बीमारी शादी कर्ज […]Read More







