आंदोलन

 आंदोलन

सीमा अहिरवार ज्योति

दो दस लोगों के खड़े हो जाने से ।
क्या आंदोलन हो जाएगा ?
क्या बदलाव आएगा ?
अंग्रेजों से लड़ना, फिर भी सरल रहा होगा
इस देश में , कितने दाग धब्बे ,खाई, खड्डे,।
कितनी सारी नीतियां ।
रीति-रिवाज की अंगीठियां ।
भेड़ चाल की बीमारियां ,
दिखावों की कलाबाजियां ।
फंसाने की चालाकियां ।
गुमराह करने की सांप सीढ़ियां ।
आदमी को मारने के नुस्खे ।
कमजोर नब्जों पर , प्यार से बढ़ते
पैशाचिक हांथ।
भूख से नहीं , आदमी की भूंख से
मरते हुए लोग ।
जाति की गठरी को सिर पर रखे घूमता आदमी ।
अपनी बेटी के लुट जाने पर ,
सिर झुकाए आदमीं ।
बाप के ही एहसानों से दवा खड़ा नौजवां आदमीं
जिन्दगी भर खानवदोश जीवन बिताती औरत । कितनों की पहचान, और इज्जत का सामान ।
घर के किसी कोने में सुबकती बेजान औरत।
क्या बदलाव आएगा ?

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