#कहानी #आधा सच #विश्व ऐड्स दिवस पर रचना चौधरी की एक जागरुक कहानी

 #कहानी #आधा सच #विश्व ऐड्स दिवस पर रचना चौधरी की एक जागरुक कहानी

#### आधा सच ####

काफी देर तक रिपोर्ट्स को पूरी तफ्शीश के साथ पढ़ने के बाद डॉक्टर ने अपना चश्मा थोड़ा सीधा करते हुए गहरी सांस छोड़ी | फिर अम्बर और तोरल की ओर मुखातिब होते हुए बोले….. ” अम्बर आपकी रिपोर्ट्स नार्मल हैं , यू आर कम्प्लीटली फिट | बट तोरल…
यू.. यू… यू आर एच आई वी पॉजिटिव….”

डॉक्टर दिवाकर का इतना कहना था कि तोरल और अम्बर सुन्न पड़ गए | तोरल के कानों में सन्नाटा ज़ोर का शोर मचाने लगा | उसे कुछ भी सुनाई देना बंद हों गया | अम्बर भी शॉक्ड था | उसने डॉक्टर से दोबारा कन्फर्म करना चाहा | डॉक्टर ने उसे रिपोर्ट्स दिखाते हुए कहा… “ये देखिये मिस्टर अम्बर, यहां साफ़ साफ़ लिखा है.. एच आई वी पॉजिटिव ”
तोरल ने एक बार अम्बर के हाथों में पड़ी रिपोर्ट्स पर हल्की नज़र डाली | और उसकी डबडबाई आँखों ने खुद भी पुष्टि कर ली उस सच की जिसपर यकीन करना आसान नहीं हों रहा था | या कहें तो जिसपर कोई भी यकीन करना ही नहीं चाहेगा | मगर सच तो सच था | तोरल को ज़मीन आसमान सब एक लग रहे थे | उसकी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा था | जनवरी के महीने में भी वो पसीने से तर हों गयी थीं 2-3मिनट में ही | उसे कुछ भी नहीं सूझा और वो बदहवास सी डॉक्टर के केबिन से बाहर भाग आई | उसके पीछे पीछे अम्बर “तोरल…. तोरल… ” चिल्लाता हुआ बाहर निकल आया | मगर तोरल रुकने का नाम नहीं ले रही थीं | किसी तरह अम्बर ने हॉस्पिटल के गेट के बाहर पंहुचकर तोरल को पकड़ा और उसे झकझोरा | “तोरल , तुम ऐसे मायूस क्यों हों रही हों ? मैं हूँ तुम्हारे साथ | हम अच्छे से अच्छे डॉक्टर से तुम्हारा इलाज़ कराएँगे | तुम्हारे लिए हर कोशिश करूँगा मैं| तुम ठीक हों जाओगी |”
तोरल बिलखते हुए बोलीं…. ” अम्बर , तुमने ठीक से सुना नहीं क्या ? मुझे सर्दी जुखाम नहीं है, एड्स है मुझे एड्स | एच आई वी पॉजिटिव हूँ मैं | मैं तिल तिल कर मरुँगी | कोई इलाज़ नहीं है मेरे लिए | सब बहलाने की बातें हैं बस |”
तोरल की बातों से अम्बर भी बिखर सा गया | क्योंकि सच तो यही था कि एच आई वी एड्स उसकी तोरल को तिल तिल कर मारने वाला था | हाँ होती हैं एड्स की भी मेडिसिन्स , मगर उसके इस्तेमाल से लाइफ को थोड़ा एक्सटेंड किया जा सकता है बस | बाकी तो धीरे धीरे ये एड्स उसकी तोरल को तोड़कर रख देने वाला है आने वाले समय में | वहीं हॉस्पिटल के गेट पर ही दोनों एक दुसरे के गले लगक़र खूब रोये | थोड़ा रो लेने के बाद तोरल , अम्बर को अपनी सफाई देने लगी… “अम्बर, कहीं तुम मुझे गलत….. ”
“पागल हों क्या तोरल… मैं इतना बेवक़ूफ़ नहीं हूँ | मैं जानता हूँ कि एड्स होने के और भी कई कारण हैं | मुझे याद है जब 2 साल पहले तुम बीमार पड़ी थी, तब कई इंजेक्शन लगे थे तुम्हें, ब्लड भी चढ़ाया गया था , क्या पता डॉक्टर से कोई लापरवाही हुई रही हो | और मान लो मैं एच आई वी पॉजिटिव निकल जाता तो क्या तुम सोचती वैसा कुछ ?”
तोरल को अब इस बात की तो तस्सली थी कि अम्बर उसे गलत नहीं समझ रहा , मगर ज़िन्दगी उसे अपने हाथों से रेत की तरह फिसलती दिखाई दे रही थी |

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समय गुज़र रहा था और तोरल दिन ब दिन ख़त्म होती जा रही थीं | उसकी खूबसूरत आँखों को स्याह काले गड्ढों ने घेर लिया था | उसके लरज़ते गुलाबी होंठ सूखकर दरारों वाली बंज़र ज़मीन सरीखे हो गए थे | उसके वो रेशमी बाल जो हमेशा चोटियों में गुंथे रहते थे , उसकी ज़िन्दगी और मन की तरह ही उलझकर रह गए थे | बच्चों की एक फरमाइश पर छप्पन भोग बना डालने वाली तोरल के लिए दाल चावल बनाना भी ज़बरदस्ती का काम हों गया था | बच्चे तो अबोध थे अभी इसलिए वो अपनी माँ की दशा समझ नहीं पा रहे थे , मगर अम्बर के लिए सभी कुछ बहुत मुश्किल हों रहा था संभालना | वो जब भी तोरल के साथ होता तो तोरल बस आने वाले दिनों की प्लांनिंग बताती रहती अम्बर को कि उसके न रहने पर वो बच्चों को कैसे हैंडल करे, और दूसरी शादी करे या न करे , और भी बहुत कुछ | अम्बर ने कई बार समझाया भी कि “चलो एक बार डॉक्टर से मिल लेते हैं , कुछ मेडिसिन्स तो चलती हैं इस बिमारी में भी तो वो सब समझ लें डॉक्टर से | ” मगर तोरल तो ये समझ चुकी थीं कि अब वो ज्यादा दिनों की मेहमान नहीं है , इसलिए वो अपना हर पल परिवार के साथ ही बिताना चाहती थीं | उसी बीच उसे सर्दी जुकाम और बुखार की शिकायत हो गयी | उसने दवाई भी ली मगर सर्दी ठीक होने का नाम नहीं ले रही थीं | दिनों दिन उसकी हालत बिगड़ने लगी | अब वो बिस्तर से उठ भी नहीं सकती थीं | उसकी दशा देखकर , अम्बर उसे डॉक्टर दिवाकर के पास लेकर गया और सबकुछ विस्तार से बताया | डॉक्टर दिवाकर, आश्चर्य और क्रोध के मिले जुले भाव से तोरल को देखने लगे | फिर अम्बर से बोले…. ” इनके ठीक न होने की वजह एड्स नहीं , ये खुद हैं ”
“क्या डॉक्टर साहब , ये क्या कह रहे हैं आप ? एड्स है तोरल को | और आप तो जानते हैं न कि एड्स खुद कोई बिमारी न होकर भी मरीज़ को किसी भी बिमारी से लड़ने लायक नहीं छोड़ता | फिर आप ही कह रहे हैं कि….. ” अम्बर आश्चर्य से बोला |
“मैं सही कह रहा हूँ , मिस्टर अम्बर | आपकी मिसेज को एड्स है ही नहीं तो फिर उनकी इम्युनिटी ख़त्म होने की नौबत क्यों और कैसे आएगी ?” डॉक्टर बोले |
“मगर आपने ही तो कहा था उस दिन कि तोरल एच आई वी पॉजिटिव है | फिर…. ” अम्बर प्रश्नवाचक नज़रों से डॉक्टर को देखने लगा |
डॉक्टर दिवाकर मुस्कुराते हुए बोले…. ” मिस्टर अम्बर , ज्यादातर लोग यही गलती करते हैं | उस रोज़ आप और आपकी पत्नी ने भी वही किया | आपकी पत्नी ने सिर्फ आधा सच ही सुना और इतना वियर्डली रियेक्ट कर गयीं | और आप दोनों ही पूरा सच जाने बिना ही यहां से चले गए | जी हाँ ये सच है कि तोरल एच आई वी पॉजिटिव हैं , मगर उसके आगे का सच ये है कि ये “सिर्फ” एच आई वी पॉजिटिव हैं , एड्स की पेशेंट नहीं हैं | अभी इनका इन्फेक्शन इनिशियल स्टेज पर है और प्रॉपर मेडिकेशन से इन्हे ट्रीट किया जा सकता है| ये एच आई वी इन्फेक्शन की वाहक ज़रूर हैं मगर ये पूरी तरह से एक स्वस्थ और अच्छी ज़िन्दगी जी सकती हैं , बस कुछ मेडिसिन्स रेगुलरली लेने के साथ साथ कुछ हेअल्थी हैबिट्स , रेगुलर एक्सरसाइज और थोड़े प्रीकॉशन्स फॉलो करने होंगे इन्हें | ”
पीछे खड़ी तोरल गौर से डॉक्टर की सारी बातें सुन रही थीं | तभी वो बोल पड़ी…. ” डॉक्टर, अगर पूरा सच ये है तो फिर मेरा मामूली सा जुकाम अभी तक ठीक क्यों नहीं हुआ ? मेरी इम्युनिटी क्यों नहीं काम कर रही ? ”
डॉक्टर ने तोरल की ओर रुख किया और बोले…. “वो इसलिए तोरल , क्योंकि तुम्हारे मन ने इस आधे सच को ही पूरा सच मानकर जीना शुरू कर दिया था | मैं जो प्रेस्क्रिप्शन्स और प्रीकॉशन्स बताने जा रहा हूँ , उन्हें फॉलो करो देखना तुम्हारी इम्युनिटी भी जल्दी ही एक्टिव हों जायेगी | क्योंकि अब तुम्हें बाकी का आधा सच भी मालूम पड़ गया है , जिसे जाने बिना तुमने अपनी ज़िन्दगी ही डंप कर डाली थीं |

—रचना
( rachnaverma158@gmail.com )

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