चमचा पुराण

 चमचा पुराण

तेज प्रताप नारायण

अथ श्री चमचा जी की कथा
यह कथा है
स्वार्थ की ,परमार्थ की
विश्वास की
सारथी जिनके बने हैं
अपने चमचा नाथ जी
अथ श्री चमचा जी की कथा
अथ श्री चमचा जी की कथा
श्री चमचा जी भगवान का नाम स्मरण करके चमचा पुराण का प्रारंभ करता हूं ।दुनिया के सारे चमचे जो चमचा भगवान के असली भक्त होंगे मुझे अभय दान देंगे । क्यों कि आगे जो लिखने जा रहा हूं वो चमचागिरी की महिमा का बखान है ।उसके पीछे का पौराणिक आख्यान है ।

चमचागीरी एक पुरातन प्रक्रिया है जिसकी शुरुआत कब हुई यह बताना बहुत मुश्किल है । अफ़सोस की बात है इस पर कोई क़िताब नहीं लिखी गई ।इतने सारे ग्रंथ,शास्त्र लिखे गए लेकिन उसमें चमचा पुराण नहीं मिला। अब चमचा पुराण भले ही नही लिखा गया हो लेकिन यह ज़रूर है इसके संदर्भ प्रसंग से किताबे भरी पड़ी हैं ।
किताबें ही क्यों ,घर -बाहर, हर ओर चमचागिरी की कहानियां बिखरी पड़ी हैं । कई बार तो यह भी लगता है
आपकी सफलता आपकी चमचागिरी की मात्रा पर निर्भर करती है ।हालाँकि ज़रूरी नहीं कि हर सफल व्यक्ति सफल चमचा रहा हो ,कुछ अपवाद भी हैं।लेकिन यह ज़रूर है कि मेहनत की दाल में यदि चमचागिरी का तड़का डाल दिया जाए तो मज़ा आ जाता है ,एक काम के बदले दस सफ़लता मिलती है।
चमचागिरी के काव्यात्मक आख्यान भी मिलते हैं
जैसे:
राजा बोला रात है
मंत्री बोला रात है
संतरी बोला रात है
यह सुबह सुबह की बात है ।

यह तो इम्तिहाँ हो गई लेकिन बड़े बड़े देशों में छोटी छोटी बाते होती रहती हैं ।कोई घबराने वाली बात नहीं है ।दुनिया ऐसी ही चलती है और दुनिया के साथ चलना है तो दुनियादारी सीखनी ही पड़ती है । तो दुनियादारी का सबसे बड़ा लेसन है बी प्रैक्टिकल ,डोंट गेट इमोशनल ओवर प्रिंसिपल्स ।सो लेटस लर्न ए बिट ऑफ चमचागिरी ।
चमचागिरी के पंच सिद्धांत निम्न हैं

1.एडजस्टमेंट
एडजस्ट करना सीखिए ।पानी की तरह जिस बर्तन में डाला जाए वैसे ही रूप धारण कर लीजिए ।बाल्टी में अलग ,लोटे में अलग और नदी में बस बहने लगिए।समंदर में थोड़ा साल्टी ,प्यार की तरह नमकीन हो जाइए। कोई गमज़दा हो तो दिखने के लिए ही सही गए हो जाइए । कभी जापान होइए और कभी चीन होइए । कभी मोटा कभी महीन होइए।

2 कपड़े जैसे वफ़ादारी बदलते रहिए ।अब सब कुछ बदलता है तो वफ़ादारी क्यों न बदले ?

3.ना को भूलकर हाँ को अपनाइये ।
ना ना करके प्यार तुम्ही से कर बैठे को भूलकर

हाँ हाँ करके प्यार तुम्हीं से कर बैठे को गाइये।

येस सर येस कहकर जीवन को सफल बनाइये

यदि हाँ में हाँ की जुगलबंदी शुरू हो गई तो सफ़लता छप्पर फाड़ के आप के क़दमों को चूमेगी ।

4. जिससे मिलिए उसका गुण गाइए कि आप सर्व गुण संपन्न हो ।आप ही सूर्य हो ,आप ही चंद हो। आप ही आनंद हो । लेकिन पीठ पीछे निंदा ही निंदा कि आप ख़ुद ही हो जाएं शर्मिंदा ।

5. स्वाभिमान टाइप की किसी चीज़ से वास्ता मत रखिए ।अपमान और सम्मान सब आत्मा की मैल है इस मैल को धो डालिए ।कोई दिक्कत नहीं होगी ।

इन्ही पंच सिद्धांतों से चमचागिरी के अन्य सिद्धांत निकलते हैं ।

चमचागिरी का नियम निंदक नियरे राखिए के सिद्धांत का निषेध करता है । यह वैश्विक सिद्धांत है जो हर जगह लागू होता है ।घर ,बाहर ,गांव ,शहर ,मंदिर,मस्जिद ,आकाश ,पाताल ।।धर्म स्थल में तो चमचा बनकर ही काम हो सकता है नहीं तो धर्म विरोधी साबित कर दिए जायेंगे । कमोबेश यही समाज के लिए भी है ।यहां तक घर में भी चमचा बनने से कई बार फ़ायदा होता है । चमचहगिरी एक मसाज के समान है जो सामने वाले के तन और मन को बहुत स्फूर्ति देता है ।सबसे बड़ा फ़ायदा तो सामने वाला का इगो मसाज होना होता है ।

वैसे हर कोई कुछ न कुछ मात्रा में चमचा होता है अब कुछ लोग स्टील के चमचे होते हैं तो कुछ लोग चांदी और सोने के ।जो स्टील के चमचे होते हैं वे ज़िंदगी में काम चलाऊ होते है क्योंकि उनकी चमचागिरी उस स्तर की नहीं होती है कि वे सफ़लता के झंडे गाड़ सकें ।सो सो टाइप की उनकी ज़िंदगी होती है ।कभी कभी उनकी प्रशंसा भी हो जाती है । सोने के चमचे सबसे सफल चमचे होते हैं ।उन्हे प्रशंसा ,पुरुस्कार,सब कुछ मिलता है ,क्योंकि वे चैंपियंस ऑफ चमचा होते हैं ।

अगर ओलंपिक में चमचागिरी का खेल शामिल हो जाए तो भारत के चमचा खिलाड़ी कैसा खेलेंगे ? मुझे तो लगता है कि चमचागिरी के सारे मेडल भारतीयों की झोली में गिर जायेंगे ।मेडल के लिए तरसते हम भारतीय मेडल से मालामाल हो जाएंगे ।

तो क्या ख्याल है आपका? चमचा बनना है या नहीं ?

श्री चमचा पुराण प्रथम अध्याय समाप्त।
संसार के सभी चमचों की जय हो ।आप चमचागिरी के सारे रिकार्ड तोड़ते रहिए और सफलता के पहाड़ पर चढ़ते रहिए ।

तेज

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