छंगा की पोती

आज 4 दिन बाद मेरे गांव पर छाए काले घने बादलों का पटाक्षेप हो गया। गांव की अब तक की सबसे घिनौनी घटना का पटाक्षेप।क्राइम ब्रांच ने सफलता हासिल कर घटना का खुलासा कर दिया है । 20-21 पकड़े गए लोगों और उनके परिवार ने राहत की सांस ली सिर्फ अपराधी और उसके परिवार को छोड़कर। इस घटना से निःसृत भय, क्रूरता और घिनौनेपन की छाया आने वाली न जाने कितनी पीढ़ियों को घेरे रहेगी और याद दिलाई जाती रहेगी। सबसे घिनौनी घटनाओं में से एक के साक्षी मेरे गांव की सामूहिक पहचान एवं जहनियत को दंश देती रहेगी, सालती रहेगी यह घटना । दाग ऐसा की दग गया है गांव की काया पर , छूटाने की कोशिश में इसकी काया भी नुचती रहेगी।
बरबस याद आ रहा है वह शख्स जिसे गांव के सबसे लंबे व्यक्ति होने की पहचान प्राप्त थी और अब भी है। हमारे पिता की पीढ़ी के हैं। जब भी सामने से गुजरते थे, हम बच्चे हैं बड़े कुतूहल बस उन्हें देखते थे और अनायास ही आपस में बात करते थे ‘हमारे गांव के सबसे लंबे व्यक्ति’। छंगा नाम है उनका। हाँ! छंगा-सब उनको इसी नाम से जानते हैं । शायद उनका इकलौता और असली नाम है। पैदा होते ही एक हाथ में छः अंगुलियां देखकर शायद इनके माता-पिता को यही नाम सबसे उपयुक्त लगा हो और यही नाम रख दिया हो।
कद साढे छः फीट से कुछ ज्यादा ही होगा , मजबूत काठी, मूछे मोटी और तीखी एवं थोड़ा नीचे की तरफ झुकाव लिए हुए ,नुख्स बस एक , एक हाथ में एक अतिरिक्त अंगुली , रंग सांवला होने के बावजूद आकर्षक व्यक्तित्व। किसी व्यक्तित्व में निखार और उसमे रोबीलापन होने के लिए और चाहिए भी क्या ? पर जितना मैंने बचपन में उनको देखा और याद कर पा रहा हूं , मैंने कभी भी उनके चेहरे पर , उनकी चाल में या शरीर के किसी भी अंग के हाव-भाव में रोब या ठसक का भाव तो छोड़ ही दीजिये , विश्वास का भाव भी देखा हो। अधिक उचित तो , यदि मैं सही निष्कर्ष निकाल पा रहा हूं ,यह कहना होगा कि उनके चेहरे पर हीनता और दीनता का भाव ही दिखाई देता था । पर ऐसा क्यों था ? उम्र के उस पड़ाव पर बुद्धि के पास इसका जवाब नहीं था। पर अब कुछ-कुछ स्पष्टता आ गई है।सामाजिक वर्गीकरण में उनकी स्थिति निचले पायदान पर है : चमार – हां !छंगा चमार हैं।
पिछले चार पांच दिनो से जाने अनजाने छ्न्गा मेरी कल्पना में जब-तब आकर आकार लेते जा रहे हैं । 17 दिसंबर 2020 की शाम छंगा की 7 साल की पोती गायब हुई थी । आज 21 दिसंबर 2020 जब घटना एवं अपराधी का खुलासा हुआ है : मैं कल्पना कर रहा हूँ – हमारे गांव के उत्तर-पश्चिम्म में चमारो की बखरी ,जिसको गांव के लोग चमरौधा कहते हैं , छंगा चमरौधा के एक छोटे से कच्चे घर में ( पता नही सरकार से पक्की कालोनी भी मिल गयी हो अब तक) अपने परिवार के बीच भी अकेले गुमसुम से बैठे हैं। कल्पना कर रहा हूँ – वह गठीला छ्न्गा जो अब बूढ़ा हो गया है – उसे और बूढ़ा होते हुए , उसका शरीर ढीला पड़ गया है – उसे और ढीला पढ़ते हुए, कमर झुक गई है – उसे और झुकते हुए , चेहरे पर और गहराती हुई दीनता , पैर में फटी बिवाइयों की तरह विदीर्ण छ्न्गा की छाती और फटती हुई , कि 18 दिसंबर 2020 की सुबह उनकी 7 साल की पोती का लहू से लथपथ क्षत-विक्षत शव गांव के किनारे झाड़ी में जो मिला था । आज 21 दिसंबर 2020 को खुलासा हुआ है कि उस 17-18 दिसम्बर 2020 की रात उनकी पोती का रेप हुआ था और फिर गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। हाँ! छ्न्गा की 7 साल की पोती का रेप और फिर ह्त्या !
हाँ ! आंखें स्थिर करो , कान खोलो
संवेदना यदि बची हो , तो बोलो
‘छ्न्गा की 7 साल की पोती का
रेप हुआ है
और फिर उसकी
हत्या कर दी गई है’
छ्न्गा की दीनता
और गहरा गई है
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पुनश्च :
समाज ! तुझे धिक्कार है
छ्न्गा जैसे व्यक्तित्व पर
सिर्फ इस बात की मार है
कि छ्न्गा चमार है
ओम प्रकाश कनौजिया