जतिंगा का रहस्य

 जतिंगा का रहस्य

कल्याण सिंह,सिकन्दराबाद

देश और दुनिया भर में जतिंगा घाटी को पक्षियों के सुसाइड पॉइंट के रूप में जाना जाता है।
यहां बड़ी संख्या में शोध और अनुसंधान करने वाले लोग भी पहुंचने लगे हैं। वे भी पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर असलियत क्या है।
यह बहुत हैरान करने वाला है कि विचलित होने के बाद ये परिंदे यहां जल रहे मसालों और शहरों की रोशनी की ओर चले जाते हैं। वैसे देखा जाए तो पक्षियों की इस गतिविधि को आत्महत्या कहना उचित नहीं है।
कुछ लोगों का कहना है कि दरअसल ये परिंदे भले ही अपनी मौत की ओर खींचे चले जाते हैं, लेकिन जतिंगा में रहने वाले गांव वाले दरअसल उनकी हत्या कर रहे हैं।
यहां जो गांववाले हैं, वे इन परिंदों को नकारात्मक ताकत मानते हैं। जी हां, यहां के गांव वालों का यह मानना है कि ये पक्षी नकारात्मक शक्ति के द्योतक हैं। हर साल ये यहां इसलिए आते हैं, ताकि वे उनका विनाश कर सकें। यही वजह है कि इन परिंदों को गांववाले पकड़ लेते हैं और बांस के डंडे से तब तक उनकी पिटाई करते हैं, जब तक कि वे दम तोड़ नहीं देते। इस तरीके से इन परिंदों को यह मालूम है कि यहां पहुंचने के बाद वे बेमौत मारे जाएंगे, इसके बावजूद हर साल खुद ही उड़ते हुए वे यहां अपनी मौत की जगह पर पहुंच जाते हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक गहरी घाटी में बसे होने के कारण जातिंगा में तेज बारिश के दौरान जब पक्षी यहां से उड़ने की कोशिश करते हैं तो वह पूरी तरह से गीले हो चुके होते हैं, ऐसे में प्राकृतिक रूप से उनके उड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है। चूंकि यहां बांस के बेहद घने और कटीले जंगल हैं, ऐसे में गहरी धुंध और अंधेरी रातों के दौरान पक्षी इनसे टकराकर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। जहां तक तय समय की बात है तो पक्षी शाम के इस समय अपने घरों को लौटने की कोशिश करते हैं ऐसे में इस वक्त दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं।

इटली की कैग्लियारी यूनिवर्सिटी के एंतोनियो प्रेती कहते हैं कि जानवर के खुदकुशी करने का खयाल ही गलत है। उन्होंने पिछले चालीस सालों में इस बारे में छपे करीब एक हजार रिसर्च को खंगाला। प्रेती अब इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जानवर जान बूझकर जान नहीं देते। ध्रुवों पर पाए जाने वाले चूहों जैसे जानवर, लेमिंग्स, एक साथ झुंड में जाकर खाई में गिर जाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि वो गलती से गिर जाते हैं। जनसंख्या का इतना दबाव होता है कि लेमिंग्स हजारों की तादाद में एक साथ ही एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। इसी सफर के दौरान उनमें से बहुतों की मौत हो जाती है।
वहीं अमरिकी एक्सपर्ट बारबरा किंग कहती हैं कि अभी हम जानवरों के दिमाग को ठीक से समझ नहीं पाए हैं। इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है।

भारत के प्रसिद्ध विज्ञानी अनवरुद्दीन चौधरी का मानना है कि सही – सही कहे तो यह आत्महत्या नहीं है लेकिन यहाँ पर पक्षी रोशनी की तरफ आकर्षित हो रहे है। यह बात विज्ञान लिहाज से बहुत अजीब है।

भारत के प्रसिद्ध विज्ञानी सलीम अली भी इस घटना से चकित थे – मेरे लिए सबसे अजीब यह है कि पछियों की इतनी साड़ी प्रजातियां उस समय उड़ रही होती है जिस समय उनको गहरी नींद में होना चाहिए। इस समस्या को अलग – अलग दिशा से अध्ययन करना होगा।
भारत के प्रसिद्ध विज्ञानी डॉ सेन गुप्ता का मानना है कि पृथ्वी के चुम्बकत्व और वैद्युतिक अशांति की वजह और जतिंगा में बहुत अधिक चुम्बकत्व पदार्थ पंछियों को प्रभावित करती है। ये हमेशा बारिश के बाद होता है। जब पहाड़ो से रिस्ते हुए पानी का स्तर सतह से ऊपर बढ़ने लगता है। जिससे वैद्युतिक और यांत्रिक प्रभाव बढ़ने लगता है।
दुनिया के प्रसिद्ध विज्ञानी डॉ स्टेफन एलिस और के विलियम ने एक प्रयोग किया। जिसमे उन्होंने एक पक्षी के पीछे की तरफ एक चुम्बक की पट्टी और दूसरे पक्षी के आगे तरफ गैर चुंबकीय पीतल लटका दिया।
जब दोनों को धुप के समय उड़ाया गया तो देखा गया कि दोनों ने अच्छा प्रदर्शन किया।
वही जब बरसात की स्थिति उड़ाया गया तो गैर चुंबकीय पीतल वाले ने सामान्य तरीके से उड़ा जबकि चुम्बक की पट्टी वाला अनियमित होकर उड़ रहा था।
जिला प्रशासन ने भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आत्महत्या के समय जातिंगा महोत्सव आयोजित करता है। सबसे पहले २०१० में आयोजित किया गया था।
कई पक्षी विज्ञानियों का मानना है कि इस दुर्लभ घटना की वजह चुंबकीय शक्ति है। जब नम और कोहरे-भरे मौसम में हवाएं तेजी से बहने लगती हैं तो रात के अंधेरे में पक्षी रोशनी के आस-पास उड़ने लगते हैं। यह ऐसा समय होता है जब वह मदहोशी में होते हैं और तेजी से उड़ने के दौरान वे आसपास पेड़ और दीवार से टकराकर मर जाते हैं। हालांकि स्थानीय निवासी इसे भूत-प्रेत की बाधा से जोड़ कर देखते हैं।

जतिंगा पक्षी आत्महत्या को लेकर अब तक कई खोज हुए हैं और इसके पीछे कई तर्क भी दिए गए हैं। परंतु सच कहा जाए तो अब तक ऐसा कोई भी तर्क नहीं आया है जिसे सुनकर आप पूरी तरह से सहमत हो जाएं। कुल मिलाकर कहा जाए तो रहस्य का खुलासा नहीं हुआ है। कुछ भी हो ये दुखद घटना अभी – अभी हो रही है।

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