नशा

 नशा

आज भी कांता का मन हर बार की तरह से डरा और सहमा हुआ था अंजाना सा भय उसके अंदर बैठ सा गया था, कि फिर कोई तूफान सा आएगा, फिर रात की नींद दिन का सुकून उड़ा कर ले जाएगा। लेकिन आज की रात उसके पति का आना मंद हवा के समान था । जिसमे हल्की सी सुगबुगाहट थी तीव्रता लेशमात्र भी नही। आज कांता को तसल्ली सी मिली इस तरह से पति को शान्त सा देख कर।
ईश को धन्यवाद करती है !!!

कांता हिम्मत बटोर के पति से खाने को पूछती है लेकिन वो कुछ जवाब न देकर एक याचक की भांति उसे निहारता है ।

कांता दुविधा पूर्ण स्थिति से गुज़र रही थी कि, दग्ध शरीर पर देह को समर्पित कर मैं अपनी आत्मा को भस्म कर दूं या फिर मना कर के अपनी आत्मा को मरते से बचा लूं ।
कुछ क्षण सोचने के बाद कांता ने हमेशा की तरह सुख की आस में अपने को सौंप दिया ..
लेकिन कांता को अपने पति की आँखों में जिस सुख की तलाश थी वो सुख उसे कभी न मिला। क्योंकि उसका पति सुबह का निकला रात में नशे में धुत्त घर आता था उसके नशे से कांता परेशान थी। जितना कमाता था सब जुएं में हार कर आ जाता था। पैसा मांगने पर मार-पीट करता था। कांता की शादी के 6 बरस गुजर चुके थे ऐसे ही मरते-खपते। उसने 2 बच्चों के अलावा जिंदगी में कांता को कोई और खुशी नहीं दी । जबकि कांता उसे आज भी बेहद प्यार करती है । हर बात का खयाल रखती है, हर रात उसका इंतजार करती है । लेकिन उसके पति की जिंदगी में जुआ शराब के नशे से बढ़कर कोई दूसरा नही ।
जिंदगी का अंधेरा चीत्कार करता रहा एक उजाले की आस में ….
कांता को आज भी पति की आँखों मे सुख की तलाश है।
.. !!

🥀-सीमा पटेल

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