पुस्तक लोकार्पण

‘कविता सिद्धांत विमर्श’ – सरोज कुमारी
स्थान : संगोष्ठी कक्ष, तृतीय तल, साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली
समय: दोपहर 2:30 बजे
साहित्य जगत में अपनी बहुमुखी प्रतिभा से पहचान बनाने वाली, जानी-मानी लेखक, आलोचक व सम्पादक सरोज कुमारी की पुस्तक ‘कविता सिद्धांत विमर्श’ का लोकार्पण 14 अक्टूबर, दोपहर 2:30 बजे संगोष्ठी कक्ष, तृतीय तल, साहित्य अकादेमी, 35 फ़िरोज़शाह रोड, नयी दिल्ली – 110001 में संवाद एवं हंस प्रकाशन के संयुक्त तत्त्वाधान में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक व लोक कवि चन्द्रदेव यादव ने की। मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ गीतकार व आलोचक ओम निश्चल, प्रसिद्घ शायर नरेश शांडिल्य, प्रबुद्ध आलोचक मुकेश मिरोठा व पुस्तक की सम्पादक सरोज कुमारी उपस्थित थीं।
वरिष्ठ आलोचक व लोक कवि चन्द्रदेव यादव ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि “कविता सम्बन्धी सैद्धान्तिक निबन्धों का यह संग्रह अधूरा होकर भी अपने आप में परिपूर्ण है।”
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित वरिष्ठ गीतकार व आलोचक ओम निश्चल ने कहा कि “कविता के सैद्धान्तिक पक्ष से सम्बन्धित निबन्धों का यह संग्रह हिन्दी के विद्यार्थियों, शोधार्थियों के साथ-साथ समस्त अकादमिक जगत के लिए लाभकारी व मूल्यवान है।”
प्रसिद्घ शायर नरेश शांडिल्य ने निबंधों के बेहतरीन चयन हेतु सम्पादक की सराहना की तथा कविता सम्बन्धी अपने विचारों को प्रेषित करते हुए कहा कि “युद्ध और संघर्ष के बिना कविता जन्म नहीं लेती। रामायण और महाभारत भी युद्ध और संघर्ष की कविता है।”
प्रबुद्ध आलोचक मुकेश मिरोठा ने पुस्तक की विविधता के विषय में कहा कि “इस निबंध संग्रह में स्त्री, दलित, आदिवासी तथा अन्य वर्गों के निबंधकारों व आलोचना दृष्टि की कमी है।”
पुस्तक की सम्पादक सरोज कुमारी ने बहुत सहजता व सरलता पूर्वक अपने विचारों को प्रेषित करते हुए कहा कि “यह पुस्तक इन निबन्धों की पहली कड़ी के रूप में प्रकाशित हुई है। आने वाले अन्य भागों में स्त्री, दलित, आदिवासी कविता की सैद्धान्तिक दृष्टियों को पूर्णरूप से इसमें स्थान दिया जाएगा।”
लोकार्पण कार्यक्रम में प्रसिद्घ कत्थक नृत्यांगना जसप्रीत कौर ने भी कविता सम्बन्धित अपने विचार प्रस्तुत किये।
इस कार्यक्रम का सुव्यवस्थित संचालन सुशील द्विवेदी और अन्ततः धन्यवाद ज्ञापन हंस प्रकाशन के अधिष्ठाता हरेन्द्र तिवारी ने किया।