बलदाऊ गोस्वामी की कविताएँ

टिप्पणी :बलदाऊ गोस्वामी की कविताएँ माटी की कविताएँ हैं ।ज़मीन से बिल्कुल जुड़ी हुई ।छोटी छोटी बातों द्वारा वे कविता में ऐसा प्रभाव लाते हैं कि कविता धीरे धीरे रिसती हुई अंदर चली जाती है । इनकी कविताओं की संवेदना घर और बाहर दोनों जगह दख़ल देते हुए ज़ुल्म ओ सितम के ख़िलाफ़ लड़ने की बात करती हैं । ज़बरदस्ती की नारेबाज़ी से हटकर बलदाऊ साफ़ साफ़ शब्दों में अपनी बात रखते हैं। कविताओं में रमणीयता है और इंसानी संवेदनाओं को झकझोरती हैं।

【सहन 】

बच्चपन के दिनों में
मेरी गलतियों की भनक
पिता को लगते ही
फैल जाती थी घर में अशांति
माँ अक्सर
पिता से छुपाने का जतन
हर बार करती थी .

कई – कई बार
मेरी गलती छुपाने में
माँ को पड़ता था सुनना
पिता से ढ़ेर सारी झिड़कियां
वह इसे अपनी नियति समझ
कर लेती थी सहन
और आंखो से बहा देती थी .

【तालीम 】

मिट्टी से पैर उठा कर
चलो मत
बहाव जरा तेज है .

मिट्टी से जुड़े हुए लोग
किसी भी बहाव में
बहते नही हैं .

【पिता की देह 】

घर के उस कोने में
बच्चों के खिलौनों के साथ
रखा है हवा विहीन
एक शिथिल गुब्बारा .

आज सुबह सबेरे
मेरी नजर उस पर पड़ी
और मन में
उभर आया एक ख्याल
कि बच्चों के खातिर
नमक रोटी की जुगत में
भोर से साँझ तक
मेहनत बेचते पिता की देह
शिथिल होती है हर शाम
हवा विहीन गुब्बारे की तरह

【कल की उम्मीद】

वह किसी पार्क में
घूमने नही जाता
मंहगे होटल में
करता नही नाश्ता
उसे पसंद न हो यह सब
ऐसी कोई बात नही है .

वह तो घर की आवश्यक जरुरतों
और बच्चों की पढ़ाई की खातिर
सुबह से शाम तक
हाँक कर रिक्शा
कुछ राशि की करता है जुगत
बच्चों से कल की उम्मीद लिए .

【नारी पलायन 】

चुप रह कर जुल्मों-सितम बर्दाश्त
करना !
बर्दाश्त करने की होती है
इंतिहा !
कितना डरती है,
वजह घर न उजड़ जाए !
नारी अपनी सत्यता
और
तुम्हारे जुल्म के ख़िलाफ़
बिना आवाज़ उठाए
खामोश
उड़ जाती है
अनंत की ओर

【ज़ुल्म के खिलाफ 】

जीत जाऊँ
या हार जाऊँ
हमलावर के हर जुल्म के खिलाफ
उठाऊँगा ही हाथ .

हमलावर को
जी भर गालियां दे कर चुप हो जाना
दुखिया के दुख का निदान नही है .।

औरत

मेरे घर के
ठीक सामने से गुजरने वाले
सड़क से हो कर
सुबह गाँव की कुछ औरतें
जातीं हैं काम पर
और दिन डूबते घर लौट आतीं हैं .

सड़क पर
जाती हुईं औरतें
अपने घूँघट से
माँग में सिंदूर भरे सिर को
ढ़क कर चलती हैं तो
बहुत खूबसूरत लगतीं हैं .

कहीं आपको इस खूबसूरती पर
कोई सनक – सी बात तो
सवार नही हो गई है ?

नाम – बलदाऊ गोस्वामी
गाँव – भैसवार, जिला –
बैकुण्ठपुर, कोरिया (छ.ग.)
मोबाईल नम्बर – ९३०२३२७०९६
शिक्षा – बी.एस . सी.(द्वितीय वर्ष , गणित)
साहित्य झेत्र – आकाशवाणी केन्द्र अम्बिकापुर से कविताओं का प्रसारण , ट्रू मिडीया , मोर द इंडिया पत्रिका में प्रकाशित .

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