बहती नदी

 बहती नदी

प्रेम करने वाली
लड़कियां ,
तरलता से भरी
बहती नदी के
समान होतीं है

वो पार करती हैं
सारी हदें, ‘बहाव’ की

टकराती, हरहराती
बहती हैं स्वच्छता से

नहीं रोक पाया
कोई बांध
कोई चट्टान
कोई पहाड़
उसके संवेगों
के वेग को ।

भाव, आवेश
से परिपूर्ण
होती है पूर्ण
परिपक्व
राग-रंग से
प्लावित

वो एक ऐसी ‘नदी’
जिसकी ऊर्जा से
होती है प्रकृति, निरंतर
पल्लवित, पुष्पित,
और फलित भी

बहती नदी होती है
लड़कियां
……
-सीमा पटेल

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