हाँ मुमकिन है!
त्वरित विमर्श
हाँ ! मुमकिन है,
पंछी की तरह आसमान में उड़ना मुमकिन है
मछली की तरह समंदर में रहना मुमकिन है
मन में अगर ठान लें कुछ भी
तो मेहनत से उसे हासिल करना मुमकिन है
हाँ मुमकिन है, सब कुछ मुमकिन है
मन में अगर चाह हो तो,
सब कुछ मुमकिन है
दशरथ मांझी की तरह पहाड़ काटकर रास्ता बनाना मुमकिन है
मिल जायें हम साथ
और मिल जायें जज़्बात
तो सब कुछ मुमकिन है
अगर विज्ञान का हो जाए विकास और ज्ञान का हो जाये प्रकाश
तो अंतरिक्ष में घर बनाना मुमकिन है
अन्य ग्रहों पर रोज़-रोज़ आना -जाना मुमकिन है
सूरज से आँखें दिखाना मुमकिन है
चन्द्रमा से हाथ मिलाना मुमकिन है
हाँ मुमकिन है
सब कुछ मुमकिन है ।
2 Comments
नन्हें कविवर त्वरित जी को बहुत-बहुत बधाई !!
कलम में धार है अभी से आगे तो तलवार बनेगी , रखेगी छद्म से लड़ने की क्षमता
कोई नया इतिहास गढ़ेगी ।
“हाँ मुमकिन है” कविता में छोटे से बच्चे के विचारों की बुलंदी की अभिव्यक्ति बहुत ही कोमलता से की गई है । पंछी,सूरज,चाँद,ग्रहों की बात कोमलता व आत्मविश्वास से की है ।
“मिल जाएं हम साथ और मिल जाएं जज्बात” …. नन्हे से मन की ऊंची सोच को व्यक्त करती हुई पंक्ति… !
नन्ही कलम द्वारा उच्च मनोभावों की अभिव्यक्ति मुमकिन है ….।