राजा सुहेलदेव भर थारू
डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह
भरथरी का विकास भर थारू से ही हुआ है, वही भरथरी जो नाथ पंथी थे और गोरखनाथ के शिष्य थे, ये परवर्ती बौद्धों की परंपरा थी…..
राजा सुहेलदेव और सालार मसूद की प्रारंभिक जानकारी अमीर खुसरो की पुस्तक ” एजाज – ए – खुसरवी ( 14 वीं सदी ) और अब्द – उर – रहमान की पुस्तक ” मिरात – ए – मसूदी ” ( 17 वीं सदी ) से मिलती है…..
राजा सुहेलदेव की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उन्होंने गजनवी कमांडर सालार मसूद को मौत की घाट उतार दिए थे तथा फौज को नेस्तनाबूद कर दिए थे…..
राजा सुहेलदेव के समुदाय के बारे में जो प्राचीन और प्रामाणिक जानकारी मिलती है, उसके अनुसार वे भर थारू थे, यह प्रमाण ” मिरात – ए – मसूदी ” से मिलता है ….
भर थारू मूल रूप से भरों की शाखा है और ये भर लोग पहले से ही बौद्ध थे, जैसा कि हम लोग भरहुत में ” भर ” का योग देखते हैं….
थारू भी स्थविर का संक्षिप्त रूप है, जो बौद्धों से जुड़ा है….
राजा सुहेलदेव 11 वीं सदी में श्रावस्ती के राजा थे, तब श्रावस्ती बौद्ध केंद्र था…..
12 वीं सदी में श्रावस्ती बौद्ध भिक्खुओं से भरा था, इसका प्रमाण गहड़वाल नरेश गोविंदचद्र के श्रावस्ती ताम्रपत्र से मिलता है….
संवत 1186 में श्रावस्ती स्थित जेतवन के भिक्खु संघ को राजा गोविंदचद्र ने 6 गाँवों की आय दान में दिए थे…..
श्रावस्ती 12 वीं सदी में भी बौद्ध भिक्खुओं से गुलजार था और राजा सुहेलदेव ( भर थारू ) इसी श्रावस्ती के 11 वीं सदी के राजा थे….
सुहेलदेव भर थारू बौद्ध राजा थे……