लगन के पंख है पास ‘ न हो उदास ।

 लगन के पंख है पास ‘ न हो उदास ।

विमलेश गंगवार दिपि वरिष्ठ कथाकार हैं ।इनके दो उपन्यास और दो कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती रहती है।

नाम खुशी है पर रहती हो उदास? जब मैं तुम्हें देखती हूँ मुँह लटकाये बैठी रहती हो।
मैडम सरोजिनी ने उपस्थिति लेकर रजिस्टर एक तरफ रख दिया और खुशी की ओर देखती हुई बोली। खुशी ने उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। समाधिस्थ सी बैठी रही। मैडम पुनः बोली –
अरे खुशी तुम्हीं से कह रही हूँ –
जी मैम, मरियल स्वर में खुशी बोली।
मैडम ने सभी बच्चों से पूछा। छुटिट्यों में क्या किया? खूब मजे किये होंगे न? न सुबह जल्दी उठने की मुसीबत, न तैय्यार होने का झंझट, न बैग लगाने का काम, अपने मन के राजा, घर में ऐश करो, मम्मी के सिर पर धमाल मचाओ, नये-नये पकवान खाओ और बेचारी मम्मी का तो हाल खराब। कब स्कूल खुलें? उनका यही इन्तज़ार।
जी मैम, मम्मी यही कहती थी। कई बच्चे मुस्कराते हुए बोले –
तीस बच्चों की कक्षा में सभी ने मैम को बताया कि उन्होंने गर्मियों की छुट्टियों को कैसे बिताया।
भाव्या श्री बोली – मैम हम लोग मम्मी पापा के साथ नैनीताल गये थे। तल्लीताल से मल्ली ताल सुन्दर झील देखी। वोटिंग की, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों और घने पेड़ों से घिरी झील बहुत सुन्दर लगी। रात को पानी में जगमगाती बिजली के बल्बों के बीच मंदिर झील में तैरता हुआ सा देखकर हम लोग बहुत खुश हुए।
देविश्री बोली – मैम हम लोग दिल्ली गये थे। कनाट प्लेस, चांदनी चैक, बिरला मंदिर, लालकिला, कुतुबमीनार, राजघाट, इंडिया गेट और संसद भवन देखा। सब कुछ सुन्दर था मैम –
पार्थ बीच में बोल पड़े – मैं पापा मम्मा के साथ अपनी बुआ जी के घर मुम्बई गया था। हम सब मरीन ड्राइव पर रात में घूमें। सागर पहली बार देखा मैम बहुत दूर-दूर तक पानी-पानी बहुत गहरा पानी। एक बहुत बड़ा जहाज पानी में तैर रहा था उसमें बहुत सारे बल्ब जल रहे थे। पानी में झिलमिल/झिलमिल रोशनी बिखेर रहे थे सागर किनारे होटल ताज ऊँचा सा बना हुआ है।
प्रांजल बोले – हम लोग अपनी नानी जी के हाथ हरिद्वार गये थे। गंगा जी में लोग नहा रहे थे। रात को गंगा जी की आरती देखी छोटे-छोटे दिये गंगा में बहते हुए अच्छे लग रहे थे। लोग फूल और अन्य पूजन सामग्री गंगा जल में बहा रहे थे। पर हम लोगांे ने दिये जला कर किनारे रख दिये थे। नानी जी ने बताया कि थैली कागज फूल आदि गंगा मंे नहीं फेंकने चाहिए, इससे गंगा जी जी का जल गंदा होता है।
हार्दिक बोले मैम हम लोग महाबलेश्वर गये थे कितनी ठंड थी वहां। जाते समय पापा ने टैक्सी रूकवा कर स्ट्रावेदी के बड़े-बड़े खेत दिखाये वहीं कई फैक्ट्री थी जिसमें स्ट्रावेरी का स्क्वैश बनाया जा रहा था। हम लोगों ने स्ट्रावेरी स्क्वैश पिया बहुत अच्छा लगा।
लालू सिंह बोले मैम हम लोग अपने नाना के गांव गये। गांव में क्या देखा लालू – मैम बोली।
नाना जी का बड़ा सा घर बहुत बड़ा बाग, और तालाब नाना जी की गाय इसी तालाब मंे नहलाई जाती थी। नहाकर बहुत सुन्दर लगती थी गाय। उसी का दूध हम सब लोग पीते थे।
अरे वाह – और क्या देखा वहां मैम ने पूछा।
नाना जी के बाग में बड़े-बड़े आम के पेड़ थे। नाना जी ने बताया था कई पेड़ों के आम बहुत मीठे हैं। पेड़ पर लटकते आम के गुच्छे बहुत अच्छे लगते थे। एक पेड़ा के नीचे नानी जी की समाधि बनी थी। नाना जी बता रहे थे कि नानी जी का अन्तिम संस्कार उसी पेड़ के नीचे हुआ था। मम्मी जब भी गांव जाती है नानी जी की समाधि पर जरूर जाती हैं।
हाँ लालू – हमारे दादी, बाबा, नाना, नानी आदि बुजुर्ग हमेशा नहीं रहते हैं उनकी यादें, बाकी रह जाती हैं हम सब को चाहिए कि हम उनका स्मरण अवश्य करें। मैंम बोली।
तुम कहां गये थे तरूण – मैम ने कहा।
हम लोग घर पर ही रहे थे। पापा को आफिस से छुट्टी नहीं मिल पाई थी मैम – मम्मी ने स्वीमिंग स्कूल में नाम लिखवा दिया था हमने तैरना सीखा मैम।
अरे वाह इसे कहते हैं समय का सदुपयोग करना।
कक्षा के सभी छात्र-छात्रायें मैडम से खुल कर बातें कह रहे थे। मैम का मूड इतना अच्छा था कि सभी मित्र की तरह उन्हें घूमने के स्थल के विषय में बता रहे थे। मैम से बातें करने में उन्हें बहुत आनन्द आ रहा था। सभी बच्चों ने छठी कक्षा पास की थी अब सातवीं में आये थे नया क्लास, नई मैम, नई पुस्तकें, नया क्लास रूम पाकर वे सब बहुत उत्साहित थे।
अब मैम की दृष्टि खुशी पर पड़ी जो हवा निकले गुब्बारे की तरह मुँह लटकाये बैठी थी। चेहरा देख कर ऐसा लग रहा था कि वह गहराई से कुछ सोच रही थी।
बताओ खुशी तुम कहां गई थी? मैडम सरोजिनी ने पूछा। कहीं नहीं मैम घर पर ही रही।
कक्षा में सभी जानते थे कि खुशी का एक पैर पोलियोग्रस्त है इसी को लेकर वह हर समय चिन्ताग्रस्त रहती है। यह बात सृष्टि ने मैम को बताई तो मैम ने खुशी को अपने पास बुलाया और उसके सिर पर हाथ फेरती हुई बोली –
मैंने तो तुम्हें स्कूल के ग्राउण्ड में घूमते फिरते देखा है खुशी। जी मैम मंे थोड़ा बहुत दौड़ भी लेती हूँ।
स्टाफ रूम में मैडम अरोरा और कटियार बता रही थी कि कक्षा में तुम्हारी रैंक भी अच्छी आती है। पिछली वर्ष मैथ मंे स्कूल में तुमने टाप किया था और इसके लिए तुम्हें मेडल भी मिला था और तुम गाती भी बहुत अच्छा हो।
जी मैम। उदास होती हुई खुशी बोली।
अरे यह कोई उदास होने की बातें हैं। इतने बुझे मन से कह रही हो ”जी मैम“। एक बात बताऊँ तुम सबको – मैम बोली।
अरे यह कोई उदास होने की बातें है। इतने बुझे मन से कह रही हो ”जी मैम“। एक बात बताऊँ तुम सबको – मैम बोली।
बताइये प्लीज। एक साथ कक्षा के सारे बच्चे बोले। आज उन्हें मैम से बातंे करने में बहुत अच्छा लग रहा था।
शरीर की कोई भी कमी मनुष्य को आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती है। बस तुम्हें उड़ान भरने के लिए मेहनत और लगन के पंख लगाने पड़ेंगे। देखो बच्चों – अभी इसी वर्ष 2015 में शारीरिक रूप से कुछ कमतर दिल्ली की इस सिंघल ने देश की सबसे प्रतिष्ठित आई0ए0एस0 परीक्षा में सर्वोत्तम अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान पाया है। देश की यह मेधावी बेटी सोलियाॅसिस नामक बीमारी से ग्रस्त है। इस बीमारी में इंसान की रीढ़ की हड्डी सामान्य तौर पर कमर या सीने के पास से दांयी या बांई तरफ मुड़ जाती है। इरा जी श्री राजेन्द्र सिंघल एवं श्रीमती अनीता सिंघल की इकलौती सन्तान हैं। माता पिता अपनी बेटी के रिजल्ट से फूले नहीं समा रहे हैं। सारा देश अपनी होनहार बेटी पर गर्व कर रहा है।
खुशी – जरा सी बात को लेकर तुमने अपने जीवन की मधुरता समाप्त कर ली है। इरा जी अगर ऐसे बैठ जाती, परिश्रम न करती, ज्ञान विज्ञान की पुस्तकों में अपने को न डुबो देती तो क्या आज शिखर तक पहंुचती? बताओ खुशी, तुम्हीं बताओ ….
जी मैम, मैंने उनकी फोटो न्यूज पेपर में देखी है उनके विषय में भी पढ़ा है – खुशी बोली।
खुशी तुम्हारे पास भी बहुत सारे ऐसे टैलेण्ट हैं जिनके लिए तुम अपने मित्रांे के साथ खुशियां मना सकती हो। आगे से तुम्हारे मुँह पर उदासी नहीं आनी चाहिए।
चलिए बच्चों इरा जी की महान सफलता के लिए जोरदार तालियां बजाइये। मैम ने बच्चों से कहा। सभी बच्चों के साथ खुशी मुस्कराते हुए तालियां बजा रही थी।
यह हुई ना बात। खुशी आज तुम्हें मुस्कराते हुए देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैम मुस्कराते हुए कह रही थी।

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