छप्पन भोग लगी अब मिलती है थाली पर पिता की टेढ़ी.मेढ़ी बिली रोटी सी स्वादिष्ट नहीं देते थे रोटी संग चीनी सी लोरियाँ गोदी में बैठा कर कौर खुद तोड़ कर बोर घी में, नमक संग, खिलाते थे सोंधी रोटियां छोड़ गई थी माँ घातक बीमारी की मार से सिखा गयी थी रोटी सेंकना उसे […]Read More
पटना के अनंत सिन्हा वरिष्ठ पत्रकार हैं जो रेणु जी के जीवन पर सतत शोधकार्य में रत हैं। हिरामन और हीराबाई जैसे अमूल्य पात्रों की खोज और रचना प्रक्रिया को समझने में मुझे भी काफी वक्त लगा। इसलिए मै यहां अपनी बात शुरू से रख रहा हूं। बचपन में कभी टीवी पर ‘तीसरी कसम’ फिल्म […]Read More
तेज प्रताप नारायण जब बिकना ही एक मात्र पैमाना हो जाये और दुनिया सिर्फ़ एक बाज़ार हो जाये, .तो बस बिकने की होड़ होने लगती है । तरह -तरह के बाज़ार और तरह- तरह के खरीदार। ज़मीर बेच दो, शरीर बेच दो ,दूल्हा बेच दो ,दुल्हन बेच दो ,घर बेच दो ,खेत बेच दो , […]Read More
एक बार एक शिकारी जंगल में शिकार करने के लिए गया। बहुत प्रयास करने के बाद उसने जाल में एक बाज पकड़ लिया। शिकारी जब बाज को लेकर जाने लगा तब रास्ते में बाज ने शिकारी से कहा, “तुम मुझे लेकर क्यों जा रहे हो?” शिकारी बोला, “ मैं तुम्हे मारकर खाने के लिए ले […]Read More
【ऊख 】 (१) प्रजा को प्रजातंत्र की मशीन में पेरने से रस नहीं रक्त निकलता है साहब रस तो हड्डियों को तोड़ने नसों को निचोड़ने से प्राप्त होता है (२) बार बार कई बार बंजर को जोतने-कोड़ने से ज़मीन हो जाती है उर्वर मिट्टी में धँसी जड़ें श्रम की गंध सोखती हैं खेत में उम्मीदें […]Read More
तेज प्रताप नारायण मूँछे हों तो …………….जैसी जैसी ? अब यह जो रिक्त स्थान की पूर्ति है, उसमें क्या क्या भर सकते हैं ,नत्थू लाल जैसी ,अभिनंदन जैसी ,हरिहरन जैसी, राम चरन जैसी ,चार्ली चैपलिन जैसी ,हिटलर जैसी या शिवा जी जैसी या ….. । यह डॉट डॉट बड़ा खतरनाक होता है लेकिन यह डॉट […]Read More
【एफ आई आर 】 बेटेको बोर्डिंग स्कूल बेटी को सरकारी यह दर्द मैं किसको दिखाऊँ जा कर कहाँ मैं एफ आई आर लिखाऊं दर्द हो कोई बेटे को तो सिटी हॉस्पिटल कुछ हो बेटी को तो नजदीकी क्लिनिक यह चीख मैं किसको सुनाऊँ जा कर कहाँ मैं एफ आई आर लिखाउँ बेटे को कहते सीना […]Read More
ज्ञान प्रकाश चौधरी,बहराइच एक बार गिद्धों का झुण्ड उड़ता-उड़ता एक टापू पर जा पहुँचा। वह टापू समुद्र के बीचों-बीच स्थित था ।वहाँ ढेर सारी मछलियाँ, मेंढक और समुद्री जीव थे। इस प्रकार गिद्धों को वहाँ खाने-पीने को कोई कमी नहीं थी। सबसे अच्छी बात ये थी कि वहाँ गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली […]Read More
परिवर्तन साहित्यिक मंच के तत्वाधान में साहित्य संचय प्रकाशन द्वारा प्रकाशित होने वाली वार्षिक काव्य पत्रिका ‘ मशाल ‘ -वर्ष -2021 में चयनित रचनाकारों की सूची निम्नवत है । इन रचनाओं का चयन सम्पादकत्रयी डॉ अनुराधा ओस ,तेज प्रताप नारायण और रजनीश संतोष द्वारा किया गया है। विगत वर्षों की भाँति पुरुस्कृत रचनाओं का चयन […]Read More