प्रियंका एम.के. ,माइक्रो बायोलोजिस्ट रिसर्च स्कालर , Priyanka.2475@rediffmail.com नेचर औषधीय गुणों की खान है. इसी में एक पौधा है मोरिंगा, जिसे सहजन भी कहते हैं. मोरिंगा एक प्रकार का सुपर फूड है. इसको जादुई पेड़ भी कहा जाता है. यह शरीर की एक नहीं बल्कि अनेक बीमारियों का निदान करता है. यह एक बहु उपयोगी […]Read More
समीक्षक : अशोक वर्मा भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं और वरिष्ठ कवि एवं लेखक हैं। तेज प्रताप नारायण का कहानी-संग्रह “एयरपोर्ट पर एक रात” पढ़ा। यह संग्रह जीवन का दस्तावेज़ है। इसमें स्त्री है, पुरुष है और थर्ड जेण्डर भी है; बचपन है, जवानी है, वृद्धावस्था भी है; गाँव है, नगर भी है; जीवनमूल्यों […]Read More
परिचय: जन्मतिथि- 25/06/1981शिक्षा- एम.ए. (हिन्दी), नेट , पीएच-डी.प्रकाशन – समाधान खण्डकाव्यवागर्थ,पाखी, समहुत, कथाक्रम, छत्तीसगढ़ मित्र,अक्षरा, विभोम स्वर ,सोचविचार, बहुमत, पुरवाई, सेतु ,स्रवंति,समकालीन अभिव्यक्ति, किस्सा कोताह, तीसरा पक्ष, ककसाड़, प्राची, दलित साहित्य वार्षिकी, डिप्रेस्ड एक्सप्रेस, विचार वीथी, लोकतंत्र का दर्द, शब्द सरिता,निभा, मानस चेतना, अभिव्यक्ति, ग्रेस इंडिया टाइम्स, विजय दर्पण टाइम्स आदि पत्र- पत्रिकाओं में रचनाएं […]Read More
लखनऊ,उत्तर प्रदेश की डॉ अवंतिका सिंह ने हिंदी के प्रसिद्ध कवि और लेखक डॉ हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा पर शोधकार्य किया है।इसके साथ ही उन्हें सामाजिक,आर्थिक विषयों पर लेखन, बाल साहित्य लेखन,कविता और लघुकथा लेखन पसंद है।पर्यावरण के प्रति बेहद जागरूक हैं। ऑल इंडिया रेडियो,लखनऊ में हिंदी की वार्ताकार और कुशल सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। […]Read More
मुरादाबाद की डॉ अर्चना टंडन वैसे तो स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं लेकिन समाज में व्याप्त रोगों को भी भलीभाँति पहचानती हैं और उनका इलाज़ करना चाहती हैं। स्त्री रोग के इलाज़ के लिए मेडिकल डिग्री है तो सामाजिक रोगों के लिए लेखन की कला । आप ,हिंदी एवं अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखती हैं । […]Read More
तेज प्रताप नारायण गाँधी के बारे में बात की जाए तो उनके जीवन की कई सारी बातें हैं जिनपर चर्चा की जा सकती है । सबसे बड़ी बात जो समाज को गाँधी से सीखनी चाहिए वह है आंदोलन या विरोध का उनका अहिंसात्मक तरीक़ा ।मेरा मानना है गाँधी की अहिंसा, बुद्ध की करुणा और वैज्ञानिकता […]Read More
डॉ बृजेश ,सहायक प्रोफेसर ( अतिथि) इलाहाबाद विश्वविद्यालय महात्मा गांधी की पत्रकारिता को समझने से पहले महात्मा गांधी को समझना आवश्यक है। महात्मा गांधी को समझने के लिए उस पृष्ठभूमि पर एक सरसरी दृष्टि डाल लेनी चाहिए जिसमें उन्हें अपना स्वभाव और संस्कार मिला। इसलिए आवश्यक है कि उनकी सभी पत्रिकाएं उनकी सभ्यतागत दृष्टि को. […]Read More
कल्याण सिंह बहन जी ! अब तो लगता है कि विकास का इलाज़ यहाँ पर हो पाना संभव नहीं हैं।” – सरोज ‘ दीदी जी ‘ अपने मन की परेशानी मम्मी से बताते हुए बोली। दरअसल हमारे यहाँ महिला टीचर को ‘ दीदी जी ‘ नाम से संबोधित किया जाता है। “ लेकिन क्यों ? […]Read More
.रजनीश संतोष मेरी जानकारी में गांधी इकलौती शख़्सियत हैं जिन्होंने अपनी स्थापित हो रही महानता को अपने जीते जी खुद मटियामेट करने में कोई संकोच नहीं दिखाया और अपनी सारी कमज़ोरियों, ग़लतियों और नाकामियों को ईमानदारी से स्वीकार किया .. अधिकतर महान लोगों के जीवन के कमज़ोर प्रसंग और ग़लत निर्णय आदि उनकी मृत्यु के […]Read More
मोनिका राजमुरलीगंज , मधेपुरा , बिहारशिक्षा- एम. ए. (इतिहास) युवा कवयित्री एवम स्वतंत्र लेखक ।विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में कविताएं एवम आलेख प्रकाशित। 【आज की लड़की】 थोड़ा थमना पर रुकना नहीं, मिले ठोकर पर संभल जाना । तुमको है अब आगे बढ़ना, मंज़िल को अपने है पाना ।। पर अपने फ़ैलाकर तुम, आसमान में ऊँचा उड़ो […]Read More