{मुझे डर लग रहा है} मुझे डर लग रहा क्योंकि ! मेरी संवेदनाएं निष्प्राण हो रही और मैं दिशाविहीन। मुझे डर लग रहा है कहीं मैं मिस्टर प्रभाकर का आवारा मसीहा होकर दिशा की खोज में दिशाहारा से दिशांत न हो जाऊं । मुझे डर लग रहा है कहीं फिर से प्रेमचंद के होरी की […]Read More
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admin
12/05/2020
Vijay Gautam ‘मूकनायक’ अभूतपूर्व, भरपूर, कई देशों के लिए मिशाल, चुनौतीपूर्ण, सामूहिक शक्ति, एकजुट होकर, सामूहिकता, 130 करोड़ लोग, इतनी बड़ी लड़ाई, विराटता, भव्यता, विद्वता, ईश्वर का रूप, जनतारुपी महाशक्ति, विराट स्वरूप, अंधकार के बीच, निरंतर, प्रकाशमय सबसे ज्यादा प्रभावित, निश्चितता, प्रकाश का तेज़, संकट का अंधकार, चुनौती, प्रकाश की ताकत का परिचय, महाशक्ति का […]Read More
admin
11/05/2020
रचना चौधरी बुद्धिजीवियों, प्रभुत्त्ववादियों से अलग, कुछ और ही दुनिया है हमारी, गरीबी का बिछौना बिछाए चारों पहर थकन से चकनाचूर हैं, जी हां !!! हम मज़दूर हैं… ऊँची अट्टालिकाओं की नींव धरने वाले खुद झोपड़ियों में रहने को मज़बूर हैं, जी हां !!! हम मज़दूर हैं… गली मोहल्लों में लैंप पोस्ट लगाते हैं, मगर […]Read More







