[ कविता ] कविता में भाषा को लामबन्द कर लड़ी जा सकती है लड़ाईयांँ पहाड़ पर मैदान में दर्रा में खेत में चौराहे पर पराजय के बारे में न सोचते हुए । [ रेलगाड़ी ] दूर प्रदेश से घर लौटता आदमी रेलगाड़ी में लिखता है कविता घर से दूर जाता आदमी रेलगाड़ी में पढ़ता है […]Read More
ज़िंदगी झरना है, गिरना है, गिरकर संभलना है। बाधाओं को हराकर, मंजिल तक पहुंचना है ब्रह्म है, ब्रह्मांड है यह, प्रकृति है, प्राकट्य है यह। मर-मर कर जीना है, जी-जी कर मरना है। दिग है, दिगंत है यह, आदि है, अनंत है यह। आगे ही आगे बढ़ना है, निरंतर चलते ही चलना है,’ ज़िंदगी झरना […]Read More
1.मसान – एक •••••••••••• खून से भीगी हुई कविताओं के पन्ना-दर-पन्ना को चिता की लौ से सेंकते हुए कवि तुम स्पार्टा और एथेंस को भूल गये स्पार्टा कभी जीवित नहीं रहा… एथेंस तुम्हारी धमनियों में दौड़ता है आज तक। आपादमस्तक, यातना के गर्भ में सना हुआ रचता रहा जीवन और मृत्यु के गीत और राग […]Read More
1.पुनर्जीवन” काया पलट पेड़पेड़ असहाय साक्षी बना सूखा खड़ान पत्ता न कोपल पतझड़ से ये घिराहर आने-जाने वाले पर नज़रें है टिकायेएक आस लगाये कोई तो रुकेगाउठाकर नज़रें भर देखेगाहर कोई उसको अनदेखा सा किएनिकला जा रहा है पेड़ घूरता दूर तक उम्मीद लगायेकसमसाता देख रहा हैयकायक आशा में बदली निराशा उसकीउदासी छोड़ सोचने लगाआख़िर […]Read More







