जन्मों से प्यासा प्यार को देखता है उन निगाहों को जो दे सकें सहारा दिलासा मिटा सकें जो उसकी वर्षों की प्यास को यही इस लिए बैठा है वो यही कहीं आयेगा कोई न कोई उसकी इस हसरत को पूरी करने को।।Read More
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31/05/2020
संजीव वर्मा “शाकिर” केनरा बैंक,छपरा में कार्यरत हैं । 【 दास्तान-ए-दिल 】 खो गए क्या?जैसे बारिश की बूंद समंदर में खोती है।या फिर सो गए क्या?जैसे नन्ही बच्ची मां की गोदी में सोती है।। खैर छोड़ो,अब इतनी भी फिक्र, क्या करना।जो लौटे ही ना,उसका ज्यादा जिक्र, क्या करना।। तेरी बहकी-बहकी बातेंअब भी याद आती हैं।वो […]Read More







