संजय श्रमण सारनाथ में गौतम बुद्ध का पहला प्रवचन धम्मचक्र प्रवर्तन सूत्र वक्तव्य कहलाता है। यह उन्होंने अपने पांच भिक्षुओं कौण्डिण्य, वप्प, भद्दीय, अस्सजि और महानाम के सामने दिया था। गौतम बुद्ध के बाद आचार्य वसुबंधु बहुत महत्वपूर्ण माने गए हैं, कई दार्शनिक ग्रंथों में इन्हें दूसरा बुद्ध भी कहा गया है। आचार्य वसुबंधु ने […]Read More
लेखक चर्चित कवि और आलोचक हैं । भारत में स्त्री विमर्श कोई नई बहस नहीं है । समता-समानता की डींगें मारने वाले व्यवस्था साधकों की कोरी लफ्फाजी के बीच आज भी मूल मुद्दा गौण है ।आर्यावर्त में साहित्य शताब्दियों से लिखा जाता रहा है, परन्तु स्त्री की जिन्दगी को शब्दों की दुनिया में आने अनुमति […]Read More
【रजनीश संतोष आज के ज़माने के बेहतरीन ग़ज़लगो,उम्दा कवि और लेखक हैं ।समसामयिक मुद्दों पर ये ख़ास नज़र रखते हैं और मुद्दों के पीछे के मुद्दों को बड़ी क़ाबलियत से सामने लाते हैं ।】 विलबर्स कहते हैं कि, “जिन समाजों ने विज्ञान और लोकतन्त्र के जन्म की प्रसव पीड़ा खुद नहीं झेली, उन्हें उधार में […]Read More
सन्तोष पटेल महादेवी छायावाद के चार स्तंभों में से एक हैं- कल्पना की अतिशयत, बौद्धिकता, रहस्यवादिता, वेदना इनकी कविता की विशेषताएं हैं। कुछ आलोचक महादेवी को छायावादी कवयित्री न मानकर रहस्यवादी मानते हैं किंतु रहस्यवाद की प्रधानता होते हुए भी महादेवी वर्मा छायावाद के आधार स्तंभों में से एक हैं। वास्तव में रहस्यवाद छायावाद की […]Read More
संजय श्रमण चार अरिय सत्य उन चार तीलियों की तरह हैं जो धम्मचक्र को उसकी धुरी से जोड़कर गतिमान रखती हैं। धम्मचक्र की धुरी ‘अनित्यता’ के दर्शन मे है, यही अनित्यता की दृष्टि जब भौतिक जगत से मनोजगत में प्रवेश कर जाती है तब ‘अनत्ता’ का दर्शन बन जाती है। मनोजगत में जो अनत्ता है […]Read More
आकांक्षा दत्ता कहानी कैसे पढ़ी जाए?कहानी सुनाने का सही समय व सही तकनीक क्या हो सकती है जिस से बच्चा किताबों से जुड़ा रहे। जब आप अपने बच्चे में कहानी पढ़ने और सुनने की रूचि उत्पन्न करना चाहते हैं ।तभी ऐसे कई सवाल मन में आते होंगे। यकिन मानिए यह कोई कठिन राकेट विज्ञान नहीं […]Read More