देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज आई ई टी लखनऊ से बी टेक् और फिर उत्तर प्रदेश शासन से रिटायर्ड (वीआर एस) दिनेश कुमार सिंह ,लखनऊ से प्रकाशित ‘डे टू डे दैनिक’ के उपसंपादक हैं ।समाज के उपेक्षित वर्गों को यथा सम्भव सहायता भी देते हैं । हर आदमी का मिज़ाज समय और परिस्थितयों के अनुसार […]Read More
दिनेश कुमार सिंह एक पुरानी कहावत है हाकिम की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी,मतलब अफसर के सामने से और घोड़े के पिछवाड़े से जहाँ तक हो बचना चाहिए।बात 1994 की है हमारे विभाग के सबसे आला अधिकारी की बिटिया की शादी थी तो जैसा कि अमूमन सभी सरकारी विभागों में मख्खनबाज़ी प्रथा का चलन होता […]Read More
यू पी के पूर्व मंत्री ,स्मृतिशेष चेत राम गंगवार जी पर उनकी सुपुत्री सुप्रसिद्ध कथाकार एवं उपन्यासकार विमलेश गंगवार’दिपि’ का संस्मरण । शायद 1975 76 में देश में एक ऑधी चली थी परिवार नियोजन की । और फिर भयंकर तूफान शुरू हुआ नसबन्दी आप्रेशनों का ।इतनी सख़्ती बरती गई कि इतने केस लाओ तो तनख़्वाह […]Read More
डॉ राकेश कुमार सिंह, वन्यजीव विशेषज्ञ ऊंचे–ऊंचे साल के दरख्तों से होकर मन–मस्तिष्क को उद्वेलित करती हवा, जंगल की पगडंडियों पर धीमे से उड़ते पेड़ों के सूखे पत्ते, पंख फड़फड़ाते परिंदों का कलरव, चूका बीच पर विशाल शारदा जलाशय की नीली लहरों के साथ दूर तक दृष्टिगोचर होते नेपाल राष्ट्र के हिमालय और इन सबके […]Read More
यह संस्मरण उनकी पुत्री विमलेश गंगवार ‘ दिपि ‘ द्वारा लिखे गए हैं जो प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं कथाकार हैं । बरेली से नैनीताल जायेंगे तो आटामांडा रेलवे स्टेशन से थोड़ा आगे बहुत चहल पहल वाला गाँव है या यों कहें कि बहुत उपयोगी बाजार है, नाम है जादोंपुर ।आम जनता के शादी व्याह से लेकर […]Read More
यह संस्मरण उनकी बेटी विमलेश गंगवार ‘दिपि‘ द्वारा लिखा गया है ,जो वरिष्ठ कथाकार एवं उपन्यासकार हैं । वह अपने पर ही कुठाराघात करते थेहमलोग एक सप्ताह हरिद्वार रह कर लखनऊ लौटे तो पिता श्री बोलेकैसा रहा हरिद्वार भ्रमण ?हमने कहा बहुत सुन्दर रहा परगंगा घाट के इर्द गिर्द बैठे भिखारियों को देखकर बहुत दुख […]Read More