28 सितंबर ,1907 को भगत सिंह एक क्रांतिकारी परिवार में पैदा हुए थे। इनकी माता का नाम विद्यावती और पिता किशन सिंह था । भगत सिंह को पढ़ने लिखने का बहुत शौक़ था ।इनकी किताब ‘ मैं नास्तिक क्यों ?’ इनकी वैचारिक पद्धति को समझने के लिए एक अच्छी पुस्तक है। असेंबली में बम फेंकने […]Read More
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संजय श्रमण इस देश में भेदभाव और शोषण से भरी परम्पराओं का विरोध करने वाले अनेक विचारक और क्रांतिकारी हुए हैं जिनके बारे में हमें बार-बार पढ़ना और समझना चाहिए. दुर्भाग्य से इस देश के शोषक वर्गों के षड्यंत्र के कारण इन क्रांतिकारियों का जीवन परिचय और समग्र कर्तृत्व छुपाकर रखा जाता है. हमारी अनेकों […]Read More
तेज प्रताप नारायण ,समकालीन कविता के प्रमुख रचनाकारों में से एक हैं ।इनकी रचनाओं में इंसान और इंसानियत के साथ समूची प्रकृति को बचाने की जद्दोजहद दिखाई पड़ती हैं ।उनकी चिंता हाशिए के लोग हैं । वे समाज मे उनका खोया हुआ स्थान दिलाना चाहते हैं। उनकी कविता संघर्ष की कविता है,प्रकृति की कविता है […]Read More
तेज प्रताप नारायण ,समकालीन कविता में हस्तक्षेप रखने वाले रचनाकार हैं जिनकी रचनाओं में इंसान और इंसानियत के साथ समूची प्रकृति को बचाने की जद्दोजहद दिखाई पड़ती हैं ।उनकी चिंता हाशिए के लोग हैं । वे समाज मे उनका खोया हुआ स्थान दिलाना चाहते हैं। उनकी कविता संघर्ष की कविता है,प्रकृति की कविता है । […]Read More
देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज आई ई टी लखनऊ से बी टेक् और फिर उत्तर प्रदेश शासन से रिटायर्ड (वीआर एस) दिनेश कुमार सिंह ,लखनऊ से प्रकाशित ‘डे टू डे दैनिक’ के उपसंपादक हैं ।समाज के उपेक्षित वर्गों को यथा सम्भव सहायता भी देते हैं । गाँवके गबरू जवान अब गोबरैले कीड़े होते जा रहे […]Read More
👉उत्तर भारत के अंबेडकर कहे जाने वाले महामना रामस्वरूप वर्मा जी के जन्मदिन पर साथी मिशन फॉउंडेशन के इंजीनियर सुनील पटेल की शब्दांजलि । ————————––—————————————– “जिसमें समता की चाह नहीं, वह बढ़िया इंसान नहीं। समता बिना समाज नहीं, बिन समाज जनराज नहीं। सौ में नब्बे शोषित हैं, शोषितों ने ललकारा है। धन-धरती और राजपाट में, […]Read More
तेज प्रताप नारायण (लेखक के चार कविता संग्रह,दो कहानी संग्रह ,एक उपन्यास, एक साझा उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं ।पाँच किताबों का संपादन भी कर चुके हैं ।भारत सरकार द्वारा मैथिलीशरण गुप्त सम्मान और प्रेम चंद सम्मान से समानित हो चुके हैं । एक व्यंग्य संग्रह शीघ्र प्रकाश्य है ।) मैं जाति हूँ और भारत […]Read More