पुण्य तिथि विशेष मुद्राराक्षस के नाम से विख्यात सामाजिक चिंतक ,उपन्यासकार ,व्यंग्यकार ,आलोचक एवं नाटककार सुभाष चन्द्र गुप्ता का जन्म 21 जून 1933 को लखनऊ के पास बेहटा नामक गाँव में हुआ था ।मुद्रा राक्षस ने 12 उपन्यास, 3 व्यंग्य संग्रह,पाँच कहानी संग्रह,पाँच आलोचना संबंधी पुस्तकें, तीन इतिहास संबंधी पुस्तकें एवं 10 से ज्यादा नाटकों […]Read More
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बहुत कुछ नहीं बदला हैआज भी जंगल उजाड़े जा रहे हैंआदिवासी मारे जा रहे हैंलोगों के घर तोड़े जा रहे हैं ,बिरसा तुम्हें आना होगा फिर एक बारक्रांति का बिगुल बजाना होगा फिर एक बाार उलगुलान करना होगा फिर एक बारउलगुलान!!! उलगुलान!!! (असीम कोलाहल )तभी निकलेगाजनता की समस्याओं का हल । 1875 में रांची के […]Read More
लेखिका ,ऋतु रानी , केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ ,हरियाणा में शोधार्थी हैं ।भारतीय रंगमंच कहते ही हमारे जहन में शास्त्रीय रंगमंच की एक छवि उभरकर आती है। लेकिन ‘लोक’ को भारतीय रंगमंच का पर्याय बनाने में हबीब तनवीर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। देखा जाए तो हबीब तनवीर ने शास्त्रीय रंगमंच की तकनीक […]Read More
रजनीश संतोष चर्चित ग़ज़लकार, कवि और लेखक हैं ।समसामयिक मुद्दों पर अपनी स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं ।.लोकतंत्र नुमाइश और लफ़्फ़ाज़ी की चीज़ न होकर समाज के चरित्र का हिस्सा हो तब ही ऐसे नज़ारे सम्भव हैं. लोकतंत्र न तो कोई व्यवस्था है और न नियम क़ानून. प्रधानमंत्री से लेकर व्यापारी, अधिकारी, किसान, मज़दूर […]Read More
तेज प्रताप नारायण अक्सर हम एक जाति को दुश्मन दूसरी जाति का मानते हैं ।यहाँ जाति मतलब caste ही नहीं बल्कि धर्म,मज़हब,स्त्री ,पुरुष ,पशु ,पक्षी ,देश जैसे प्राकृतिक और कृत्रिम विभाजनों को अलग अलग जाति का मान कर अपनी बात रख रहा हूँ ।जैसे स्त्री ,पुरूष को अपना दुश्मन मानती है ,एक कास्ट दूसरी कास्ट […]Read More
लेखक चर्चित कवि और आलोचक हैं । भारत में स्त्री विमर्श कोई नई बहस नहीं है । समता-समानता की डींगें मारने वाले व्यवस्था साधकों की कोरी लफ्फाजी के बीच आज भी मूल मुद्दा गौण है ।आर्यावर्त में साहित्य शताब्दियों से लिखा जाता रहा है, परन्तु स्त्री की जिन्दगी को शब्दों की दुनिया में आने अनुमति […]Read More