एक मुट्ठी इश्क़

शाक्य बीरू ‘ एन्टी वायरस ‘

खालीपन से भरा था यह जीवन
खिल उठा था मन
उनके आने की
आहट मात्र से ही
ख्वाहिशें.. धड़कनों के मचान पर
करने लगी थी खिलदंड़
उमंगें मचलने लगी थीं
ज्वार भाटे की तरह
तरंगें उठने लगी थीं
और
ख्वाबों के चिलमन से झांकती
उनके मोहब्बत की खुश्बू
जगाने लगी थी
सुप्त पड़े अरमानों को मेरे
पर..
उनके ठहरे जज्बात
या किसी कसमें-वादों
की जंजीरों ने
लगा दिए हैं ताले
दिलों के दरवाजों पर
और ठिठका दिया है
उनकी यादों को
कहीं दूर…
बंद कर दिया है उनकी चुप्पी ने
चाहत की वो सारी खिड़कियाँ
जिससे निकलकर
उतरने लगी थी मेरे भीतर
इश्क की जुस्तजू…
और अब
दुनिया की रस्म-ओ-रिवाज
तजुर्बे-समझदारी ने
कर दिया है
उदासी और घुटन के
घुप्प अंधेरे में जीने के लिए विवश

एक लंबी खामोशी के साथ…

😷

शाक्य बीरु एंटीवायरस

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  • बहुत सुंदर और मार्मिक सर

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