औरत

पटना के शिक्षक विमल कुमार भारती का समकालीन कविता में प्रमुख स्थान है ।हाइकू विधा के भी आप सशस्क्त रचनाकार हैं।


मैं सदियों से

होमक्वारेंटाइन में हूँ

तुम्हें कुछ ही दिनों में
घुटन होने लगी

घर में मेरे निकट रहते हो
पर जब मेरे साथ
बाहर निकलते हो, तो
कुछ कदम आगे
अथवा पीछे चलते हो
ताकि मुझसे तेरी

सामाजिक_दूरी बनी रहे

कहते हो मेरे साथ चलने से
तेरा मानमर्दन होता है

जब घर में
कोई बाहरी पुरूष आ जाता है तो
मुझे एक कमरे में

आइसोलेट रहना पड़ता है

ताकि उनकी #संक्रमित_नजर पड़ने से
मेरी प्रतिष्ठा संक्रमित न हो जाए

घर से बाहर निकलने पर
मुझे ताउम्र बुर्का या घूँघट डालना पड़ता है
क्योंकि मुझे #मर्दवायरस से बचना है तुम्हें #कोरोनावायरस से बचने के लिए
थोड़े समय के लिए मुँह पर

मॉस्क क्या लगाना पड़ा

बिल्ले-सा बिलबिलाने लगा
अब तो मेरी पीड़ा को समझो

महापुरुषों…..!

                        

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