कबीर जयंती पर
डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक ,आलोचक,लेेेखक और बौद्ध दार्शनिक हैं ।
दर्शन के क्षेत्र में जो स्थान बुद्ध का है… राजनीति के क्षेत्र में जो स्थान सम्राट अशोक का है…साहित्य के क्षेत्र में वहीं स्थान कबीर का है।
हिंदी साहित्य के पहले इतिहासकार गार्सां द तासी ने 19 वीं सदी में कबीर के बारे में तुलसीदास से डेढ़ गुना अधिक लिखा…..
मगर रामचंद्र शुक्ल ने 90 साल बाद 20 वीं सदी में अपने इतिहास में तुलसीदास के बारे में कबीर से तीन गुना अधिक लिखा…..और कबीर को उल्ट दिया….
…..और इस प्रकार 20 वीं सदी में शुक्ल जी ने कबीर की आलोचना की दिशा और दृष्टि बदल दी।
लेकिन कबीर अग्निपक्षी हैं, अपनी ही राख से फिर जिंदा हो उठे….
नमन है अग्निपक्षी कवि कबीर को!
हजार साल के इतिहास में कबीर अकेला कवि हैं….जिन्हें वाणी का डिक्टेटर कहा जाता है….कबीर की भाषा बड़ी ताकतवर है…..अंदर तक बेधती है….
कबीर ने अपनी भाषा में 2% से भी कम संस्कृत शब्दों का इस्तेमाल कर बता दिया …..कि वाणी का डिक्टेटर कौन हो सकता है…
नमन है वाणी के डिक्टेटर को!