कोरोना से प्रभावित मासूम बचपन – कैसे जीतें लड़ाई।
आकांक्षा दता
कोरोना, कोविद१९ , लाकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग, वो नए शब्द हैं जो २०२० में बच्चों की शब्दावली में जुड़ गए हैं। यह साल बच्चों के लिए एक अनूठा, अजीबोग़रीब व विस्मरणिय वर्ष बन के आया है। छोटे या बड़े सभी बच्चे हैरान हैं कि वे घर में बंद क्यों हैं? सब कुछ बंद क्यों है? विद्यालय क्यों नहीं खुल रहे, वे बाहर क्यों नहीं जा सकते, दोस्तों को मिलना मना है, पापा आफिस नहीं जाते, मम्मी भी घर पर है, घूमना फिरना भी बंद है। ऐसे कई सवाल रोज उनके मन में उठ रहे हैं। जवाब मुश्किल तो नहीं पर उसे सही तरीक़े से समझाना जरूर कठिन है।
एक वैश्विक महामारी जिसने पूरे विश्व को अपनी चपेट में लेकर मानव जाति को हिला दियाहै। जिस पर अब तक अनुसंधान चल रहे हैं ।इन स्थितियों ने बच्चों के कोमल मन में बिना भय बिठा दिया है। आसन तरीके से समझाना, कोई बच्चों का खेल नही है । खेलने -कूदने की उम्र में चार दीवारी में कैद नौनिहाल किस मनस्तिथि से गुज़र रहे हैं वो सोच पाना मुश्किल है। वो भी तब जब उनकी गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही हों। कुछ विद्यालयों ने तो छुट्टियाँ रद्द कर दी ताकि बच्चे पढ़ाई से जुड़े रहें। निर्णय गलत नहीं क्योंकि ज़्यादा समय पढ़ाई से दूर रहे, वो भी घर में बंद तो पढ़ाई से तो मन उठेगा ही, साथ ही टी.वी. और मोबाइल से
से लगाव बढ़ जाएगा।
यह वक़्त सभी के लिए असामान्य है और हमारी पूरी कोशिश होनी चाहिए कि बच्चों को सूझबूझ के साथ इस मुश्किल घड़ी से लड़ने का उपाय सुझाएँ। याद रखें सुनने से ज्यादा बच्चे देखकर सीखते हैं। यदि आप सकारात्मक और खुश हैं तो बच्चे भी उसी वातावरण में आशावान होकर सकारात्मक रहेंगे। उनके सामने नकारात्मक और उदास बातें ना करें। ध्यान रखें कि आप सरकार और प्रशासन के नियमो का मजाक ना उड़ाएं। इस से बच्चों की सोच पर बुरा प्रभव पड़ता है। उनके सामने सिर्फ अच्छे और आशवादी तथ्य रखें। बीमारी को भयावह बताकर उनके मन में डर ना पैदा करें।
लाकडाउन ने हमारी जीवनशैली को बहुत प्रभावित किया है। आफिस का कार्य घर से हो रहा है, महिलाओं पर घर के कामों का दायित्व भी बढ़ गया है और बच्चों को सभी कुछ ओनलाइन सीखना पढ़ रहा है। पर इस दौरान परिवार को एक दूसरे के साथ वक़्त बितने का अभूतपूर्व मौका भी मिला है। इस मौके को हाथ से ना जाने दें। बच्चों के साथ रचनात्मक समय बिताएं
। उन्हें कहानियों की किताब पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। छोटे बच्चों के साथ कहानियाँ पढ़े व उन्हें ख़ूब सारी कहानियाँ सुनाएं । बच्चें किताबों के नज़दीक रहेंगे तो डिजिटल विकार्शन से दूर रहेंगे।
कहानी सुनाने में पारंगत होने के साथ आप को अच्छा श्रोता भी बनना होगा क्यों कि आप के बच्चे के पास कहानी संबंधी कई प्रश्न होंगे। उसके प्रश्न यह सिद्ध करते हैं कि वो रूचि लेकर सुन
रहा था। यह समय आप का अपने बच्चे से जुड़ाव का समय है।जिसे आप आनंद और रूचि से करें।
उन्हें अलग -अलग रचनात्मक कार्यों में लगाएं, जैसे आर्ट और क्राफ़्ट, चित्रकारी, कहानी -लेखन, पुरानी चीज़ों से नयी चीज़ें बनाना, योगासन करना, ध्यान लगाना इत्यादि। उन की हर रचनात्मक गतिविधि पर उनको प्रोत्साहित करें, बुरा बोलकर निराश ना करें।
बच्चों को अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाएं ।उन्हें घर के कामों में मदद करने दें। आत्मनिर्भर होना सिखाएं। यही समय है जब बच्चे घर के बने खाने का, परिजनों और बुज़ुर्गों के साथ वक़्त बिताने का, अनुशासन और स्वच्छता के साथ रहने का महत्व समझ सकते हैं। निश्चित ही यह समय बच्चों के व्यक्तित्व में बदलाव ला सकता है पर वह बदलाव सकारात्मक हो वो हमपर निर्भर है।
वर्तमान समय में जब बच्चे चारदिवारी मे बंद है , तो उनके साथ धीरज से पेश आएं । उनकी कुछ शैतानियों को प्यार से हेंडल करें। जब आप किसी बात से निराश या परेशान हो तो उसकी खीज बच्चों पर ना निकाले। धैर्य रखें। उनपर चिल्लाना, ग़ुस्सा करना, धमकाना, उनकी मानसिक अवस्था को नुकसान पहुँचा सकता है। बच्चे छोटे हो या किशोरावस्था में, सभी को प्यार, सहानुभूति और प्रेरणा चाहिए।
बच्चों की बढ़ती उम्र में हर चीज़ का समान महत्व होता है। खेलना कूदना, दोस्तों के साथ वक़्त बिताना, विद्यालय जाकर पढ़ना -लिखना सब अनिवार्य है। कोरोना के इस संकट के समय बच्चे इन सब चीजों से दूर हो गए हैं। हमें उनका मनोबल बन उन्हें इस आपदा के समय से हँसते हँसते बाहर निकालना है। २०२० उनके जीवन का एक सुनहरा अध्याय ना सही पर एक बढ़िया सीख बनकर उनकी यादों में रहे यही हमारी कोशिश होनी चाहिए।
आकांक्षा दता
शिक्षा.. 1 एम.ए (अँग्रेजी, राजनीति विज्ञान)
2 यू.जी.सी नेट (राजनीति विज्ञान )
3. एम.बी.ए.( मानव संसाधन) मनिपाल यूनिवर्सिटी
4. ड़ी.सी.डब्लू. ई. ड़िप्लोमा. क्रिएटिव राईटिंग
अँग्रेजी सिम्बोईसिस पूणे ।
5. राईटिंग फार यंग रीडर्स कोर्स ( कामन वेल्थ ट्रस्ट
. लंदन)
सम्प्रित ….
1 विजेता मिसेज दिल्ली एन.सी.आर 2019, माड़ल ।।
2. संस्थापक आकांक्षा बुक क्लब.
3.ब्लागर/मोटिवेशनल स्पीकर/कंटेंट राईटर /
बाल कहानी और बाल उपन्यास समीक्षक।।
E mail…… akanksha.chhibbar@gmail.com
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