प्रेम चंद की पुण्यतिथि पर उनको समर्पित एक कविता
तेज प्रताप नारायण
इस देश का किसान
शोषण की चक्की में
पिसता है ,जैसे पिसान
अधिक दाम पर खरीदता
खाद , बीज ,यंत्र
और कम दामों पर बेचता है
हर समान
चाहे हो फल ,सब्जी
या हो गेंहू और धान
सहता है हमेशा चिलचिलाती सर्दी
और तेज़ घाम
है कोल्हू के बैल जैसा
कभी नहीं मिलता आराम ।
कभी लेखपाल दंश मारता
कभी थाने का पुलिस पीटता
कभी वकील जेब काटता
कभी महाजन और व्यापारी के कोड़े बरसते
और कभी लूटता है प्रधान
ओह !!
इस देश का किसान
जिसे कहते ग्राम देवता
और देश की शान
लेकिन नहीं मानते
एक सामान्य इंसान
हाय !
इस देश का किसान ।