बेड़ियां
तेज प्रताप नारायण
[लेखक के चार कविता संग्रह,दो कहानी संग्रह और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं । एक साझा उपन्यास का सह लेखन और संपादन भी कर चुके हैं ।पर्दे के पीछे की बेख़ौफ़ आवाज़ें, शब्दों की अदालत में,मशाल,मशाल 2019,मशाल 2020 कविता संग्रहों का संपादन भी कर चुके हैं ।
कविता संग्रह ‘ अपने -अपने एवेरेस्ट ‘के लिए भारत सरकार का मैथिलीशरण गुप्त सम्मान और कथा संग्रह कितने रंग ज़िन्दगी के , के लिए प्रेम चंद सम्मान मिल चुका है । ]
सूरज और चन्दर प्राइमरी से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक साथ-साथ पढ़े थे । अपनी अकादमिक पढ़ाई करने के बाद दोनो यू पी एस सी की तैयारी के लिए दिल्ली आ गए।सूरज की अपनी चमक थी तो चन्दर भी सूरज की रोशनी पर निर्भर न था ।सूरज की प्रतिभा चमकीली थी जो हर अँधेरे को उजाले में बदल देने की क्षमता रखती थी । वहीं चन्दर चन्द्रमा की तरह कभी अधूरा रहता और कभी पूरा होता ।मस्त मौला किस्म का चन्दर ज़्यादा फ़िक़्र न करता ।ज़िंदगी को उसकी फ्लो में जीता। जब कि सूरज के लक्ष्य उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण थे वह कोई भी कॉमप्रोमाईज़ न करता । दोनों ने यू पी एस सी की ज़ोर-शोर से तैयारी शुरू की ।विषय चुने ,कोचिंग की और जिया सराय की गलियों की ख़ाक छानने लगे ।
जितना छोटा जिया सराय उससे छोटी इसकी संकरी गलियाँ जिनका आकाश दोनो तरफ़ के मकानों की छतें थीं ।उन छतों के बीच के संकरेपन से आकाश की विशालता देखना नामुकिन सा होता था । उन गलियों में न धूप का प्रवेश होता और न ही कभी बारिश के दर्शन ।सूरज और चन्दर के कमरे का एक दरवाज़ा बालकनी में खुलता था ।चन्दर जब पढ़ाई से थक जाता है तो बालकनी में आकर खड़ा हो जाता और नीचे आते जाते लोगों को देखा करता ।कोई हाथ में चाय लिए हुए होता तो किसी के मुँह में सिगरेट सुलग रहा होता। कुछ लोग तो वहीं सड़कों पर ही किताब खोल कर कोई चर्चा परिचर्चा में शामिल हो जाते ।
चन्दर कुछ देर बालकनी में खड़ा होकर फिर जाकर पढ़ाई करने लगता ।सूरज चन्दर की इस आदत के लिए उसका मज़ाक बनाया करता जिसे चन्दर हँस के टाल देता ।
कहते हैं कि पहले जिया सराय एक छोटा सा गांव हुआ करता था । 90 के दशक में इंजीनियरिंग के छात्रों का सिविल सर्विस की ओर रुझान हुआ और आई आई टी से पास कई सारे इंजीनियर यहीं पर डेरा जमाने लगे ।एक दो साल बीता तो बाहर से भी इंजीनियरिंग करने वाले बहुत सारे लोग यहीं आने लगे ।कई सारे लोग तो आई आई टी में एम टेक में प्रवेश इसी ख़ातिर लेते कि तैयारी करके आई ए एस बनना है । समय के साथ जिया सराय में तैयारी करने वाले ऐसे छाए कि इलाहाबाद,लखनऊ वालों की अख़बार में ख़ुद का नंबर देखने की आँखे तरस गईं ।
जिया सराय की इन्हीं तंग गलियों में एक बार चन्दर से आरती टकरा गई ।उस दिन बंटू की चाय की दुकान पर सुरज और चन्दर चाय पीते वक़्त कुछ बात चीत कर रहे थे ।तभी किसी ने पूछा था
“एक्सक्यूज़ मी,आपका फिजिक्स ऑप्शनल है क्या ?”
,”जी बताइए ।” चन्दर ने ज़वाब दिया था ।
“मेरा भी यही विषय है और मैं यहाँ नेट की तैयारी कर रहीं हूँ । ”
आरती ने ज़वाब दिया था ।सूरज ने अजीब सा मुँह बिचकाया था ,यह बात सुनकर।
“ग्रेट ! तो बात करते रहेंगे “,चन्दर ने बोला
उस दिन की मुलाकात आगे की मुलाकातों की भूमिका तैयार कर गयी थी ।मुलाक़ातों का सिलसिला शुरू हो गया । बंटू की दुकान पर तीनों अक्सर मिल जाते । सूरज आरती से थोड़ा चिढ़ा चिढ़ा सा ही रहता लेकिन चन्दर और आरती काफ़ी घुल मिल चुके थे ।
आरती के कमरे पर भी चन्दर चला जाता और उनके रूम पर भी आरती आ जाती जो सूरज को बहुत ख़राब लगता । सूरज ने कई बार समझाया कि आरती को कमरे पर न बुलाया करे लेकिन चन्दर हर बार हँस कर टाल देता फिर सूरज ने चन्दर को धमकी कि यदि वह आरती का साथ नहीं छोड़ता है तो सूरज उसके साथ एक रूम शेयर नहीं कर सकता ।सूरज मानता था कि लड़की और पढ़ाई दोनो एक साथ नहीं हो सकते। या तो लड़की को दोस्त बना लो या पढ़ाई कर लो।
चन्दर सूरज की बात पर हँसता ,” बड़ी दकियानूसी सोच रखते हो सूरज । आरती फिजिक्स से नेट की तैयारी कर रही है और हम लोगों का ऑप्शनल भी फिजिक्स ही है ।आरती से तो हमें हेल्प ही मिलती है ।”
“एम एस सी वाले बी टेक वालों को क्या हेल्प करेंगे ।इतनी ही टैलेंटेड होती तो बी टेक न करती?, संभल जाओ नहीं तुम सी सैट भी क्वालीफाई नहीं कर पाओगे। “, सूरज उसे चेतवानी देता
न तो सूरज अपनी सोच को बदलने को तैयार था और न ही चन्दर । जिसका परिणाम हुआ कि सूरज ने जिया सराय छोड़ दिया और मालवीय नगर जाकर रहने लगा ।
दोनों तैयारी में व्यस्त हो गए ।एक साल बाद सी सैट का रिजल्ट आया ।सूरज सेलेक्ट हो गया ।वह चन्दर से मिलने जिया सराय आया लेकिन चन्दर के कमरे पर ताला लगा था ।उसने पड़ोसी से जानना चाहा तो पता चला कि सी सैट देने के बाद चन्दर ने कमरा बदल दिया था ।सूरज मन ही मन सोच कर मुस्कुराया कि लगता है सी सैट अच्छा नहीं हुआ होगा और फेल होने के डर से चन्दर ने कमरा भी बदल दिया और मोबाइल नंबर भी ।अब लड़कियों के साथ घूमेगा बेवक़ूफ़, तो यही होगा ।
सूरज चन्दर के लिए दुखी होता हुआ फिर से मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट गया।सूरज ने ख़ुद को दुनिया से पूरी तरह काट लिया ।
सूरज एक दिन ‘ विज़न कोचिंग ‘ में मॉक टेस्ट देने गया था ।वहाँ उसे आरती दिखी।
आरती ने उसे हाय भी बोला जिसका सूरज ने कोई उत्तर न देकर हिक़ारत भरी नज़रों से देखकर मुँह फेर लिया । आरती बिना कुछ रियेक्ट किए हुए ‘ विज़न ‘ से कुछ नोट्स लेकर चली गयी ।मेन्स हो गए।सूरज खुश था कि इंटरव्यूकाल तो ज़रूर आएगी । फिर से वह इंटरव्यू की तैयारी में जुट गया ,द हिन्दू,टाइम्स ऑफ इंडिया,फ्रंट लाइन,इकॉनमिक टाइम्स जैसी पत्र पत्रिकाओं का गंभीर रूप से अध्ययन करने लगा ।
एक दिन मेन्स का भी परिणाम आ गया ।मेन्स का रिज़ल्ट मधु मक्खियों के छत्ते से शहद निकालने जैसा होता है जिसमे सी सैट के लाखों अभ्यर्थियों के बीच से थोड़े लोग शहद को निकाल पाते हैं और जिनकी बातें तैयारी कर रहे तमाम अभ्यर्थियों को मीठी लगती हैं।लोग इनसे सी सैट और मेन्स क्वालीफाई करने के टिप्स लेने लगते हैं ।लोगों को उनमें भविष्य का बादशाह दिखने लगता है जिनमें डीएम से लेकर गवर्नर बनने तक की योग्यता मानी जाती है । यह अलग बात है कि इंटरव्यू के बाद फाइनल लिस्ट में न आने पर उनसे कोई बात भी नहीं करता ।लोगों को पता होता है कि वह भी उन सबके साथ सी सैट से लेकर इंटरव्यू का सफ़र तय करेगा फिर काहे का टिप्स और काहे की योग्यता ।
रिजल्ट वैसे तो वेब साइट पर भी आता है लेकिन कई बार ट्रैफिक इतना ज़्यादा हो जाता है कि वेबसाइट नहीं खुलती इसलिए शाहजहान रोड पर लोग यू पी एस सी दफ़्तर ही पहुँच जाते हैं। सूरज ने भी ऑटो पकड़ा और इंडिया गेट पहुँच गया ।यू पी एस सी में नोटिस बोर्ड पर लोग रिजल्ट देख रहे थे ।वहीं लाइन में आरती भी दिख गयी ,एक लड़के के साथ ।आरती बड़ी खुश लग रही थी ।सूरज को लगा कि आरती तो नेट की तैयारी कर रही थी ।लगता है चन्दर को आरती ने छोड़ दिया है और इस लड़के को फँसा ली है ।चन्दर के साथ क्यों रहेगी, जब बेवक़ूफ़ का सी सैट भी नहीं निकला है। चन्दर के बाद आरती ने देखा होगा कि लड़का सी सैट क्वालीफाई किया है बस आ गयी होगी चन्दर को छोड़कर ।यह लड़कियाँ न बस पैसा और पोस्ट के पीछे ही भागती है । और अगर इस लड़के ने मेन्स क्वालीफाई कर भी लिया है तो पक्का है यह फाइनली सेलेक्ट नहीं होगा ।आरती नाम की ग्रहण जो लग गयी है साथ में। यह सब सोचते हुए सूरज नोटिस बोर्ड की ओर बढ़ चला ।
आरती उसे देखकर मुस्कुराई और कुछ कहना चाहा ।लेकिन सूरज ने इग्नोर मारा ।नोटिस बोर्ड सूरज के लिए खुशखबरी लाया था ।वह रिजल्ट देखकर उछल गया।उसकी मंज़िल बस दो क़दम आगे थी ।
इंटरव्यू हो गया और वह दिन भी आ गया जब इंटरव्यू के रिजल्ट का पिटारा खुलना था ।उस दिन भी सूरज शाहजहान रोड पर ही पहुँच गया था ।बरमूडा ,पुरानी टी शर्ट और बाथ रूम स्लीपर्स पहने हुए सूरज बड़ी बेचैनी से नोटिस बोर्ड देखने का प्रयास कर रहा था ।800 लोगों की लिस्ट में चौथी लिस्ट के आख़िरी में उसे अपना दिखा ,सूरज ,रैंक ,273।सूरज उछल पड़ा उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसे टॉप की सर्विसेज मिलने के चांस हैं ,साथ मे एक मलाल भी था कि आई ए एस पाने के लिए उसे अभी एक अटेंप्ट और देना पड़ेगा। बड़ी अजीब सी बात थी कि आज भी उसे आरती दिख गयी ।आज तो वह बहुत खुश थी ।पहले की तरह आज सूरज उससे बात नहीं करना चाह रहा था ।लेकिन आज आरती ने उसे पकड़ लिया और बोली सूरज लो मिठाई खाओ ।
सूरज व्यंग्यात्मक लहजे में बोला ,” क्यों आई ए एस में सेलेक्शन हो गया है , तुम्हारे दूसरे बॉय फ्रेंड का क्या ,आरती? ”
सूरज की बात सुनकर आरती हँस कर बोली,नहीं मिस्टर सूरज ! दूसरे बॉय फ्रेंड का नहीं बल्कि दोनो बॉय फ्रेंड का।
क्या ? तुम्हारे दो बॉय फ्रेंड हैं ।तुम तो गोरखपुर की हो जहाँ लड़को
से दोस्ती करना ऑनर किलिंग का मामला होता है और यहाँ दो- दो आशिक़ ।
“तुम्हें पता नहीं सूरज !तुम्हारी सोच कितनी घटिया है।तुम्हे लड़की इंसान नहीं बल्कि ऑब्जेक्ट नज़र आती है ।अगर लड़की और लड़का बात करेंगे तो क्या इश्क़,मोहब्बत की बात होगी । तुमने अपनी सोच पर बेड़ियाँ बाँध रखी हैं ।यू आर ए सिक पर्सन !डिसगस्टिंग !!”
आरती को टॉलरेट करना सूरज के वश में नहीं था।वह बोला , “डोंट टॉक नॉनसेंस आरती। यू आर ए गर्ल ।नहीं तो बताता । “
“ क्या बताते सूरज ?गालियाँ देते या कुछ और। जैसा कि लोग करते हैं
।“ , आरती गुस्से में बोली
“आई कैन नॉट फॉरगिव यू आरती! तुमने मेरे बचपन के साथी की लाइफ ख़राब कर दी ।मेरी जय और वीरू की जोड़ी तुड़वा दी । यू आर टू बैड !!
“ ,सूरज ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रहा था ।
“ तभी किसी की जानी पहचानी आवाज़ आई, “ शांत भाई सूरज क्या हुआ ?इतना क्यों चिल्ला रहे हो ? “
सूरज ने मुड़ कर देखा तो चन्दर था। तुम क्या कर रहे हो यहाँ चन्दर । चलो अच्छा है ख़ुद तो यू पी एस सी क्वालीफाई कर नही सकते तो चलो अच्छा है अपने दोस्त की खुशी देखकर खुश हो लो । मेरी 273 रैंक आई है ।“ ,सूरज बड़े गर्व से बोल रहा था।
बधाई हो ,कहकर चन्दर ने सूरज को गले लगाना चाहा ।सूरज अनमने ढंग से उसके गले लग गया ।
तभी आरती का दोस्त प्रदीप चन्दर को बधाई देने लगा। ‘कांग्रट्स चन्दर!! फ़ॉर सेक्युरिंग टेंथ रैंक इन आई ए एस ।
सूरज चौंक पड़ा ।उसे विश्वास नहीं हो रहा था
चन्दर बड़ी नम्रता से बोला, ” थैंक यू प्रदीप ।आल क्रेडिट गोज़ टू आरती ।”
सूरज का चेहरा देखने लायक था ।
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वर्तमान परिस्थितियों को रेखांकित करती हुई,बेहतरीन कहानी