भरोसा क्या नहीं है मुझ पर
सईदा सायरा रिज़वी,
उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग के लखनऊ पुलिस लाइन्स स्थित “पुलिस मॉडर्न स्कूल”की Founder Principal, पठन पाठन लेखन एवं शायरी में रुचि। समाज मे वंचित वर्ग के कष्टों के प्रति जागरूक ।
सेवा को समर्पित रोटरी क्लब की सदस्य ।
इसके अतिरिक्त Human Right Comission Crime Against Women की प्रदेश अध्यक्ष
किसान मंच वीमेन सेल की उपाध्यक्ष
उदीयमान फाउंडेशन की आजीवन सदस्य
मुशायरा ग्रुप की एडमिन ।
“भरोसा नहीं है क्या मुझ पर”,ये कहकर न जाने कितने लोग आपको धोखा दे जाते हैं…
सारी रात फ़ोन पर बातें,पहले तजस्सूस (curiocity) की इंतेहा, फिर मैसेज पर दिल का धड़कना,माँ इग्नोर,बाप इग्नोर,एजुकेशन इग्नोर !फिर मुलाक़ातें,रंगीन नज़ारे,फिर लड़ाई झगड़े की शुरुआत,फिर ब्रेकअप,फिर उदासी का इश्तेहार बन कर फिरना,लोगों को अपनी वफ़ाओं और उसकी बेवफ़ाई के किस्से सुनाना ।
सोने जैसे वक़्त को मिट्टी में मिला देना या फिर ख़ुदा न खास्ता सुशान्त सिंह राजपूत बन जाना ।
या फिर ब्रेकअप फिर पैच अप ,पहले जीने मरने की क़समें खाना, फिर आख़िर में एक दूसरे को बदकिरदार और बुरा भला कहकर रास्ते अलग कर लेना…
अगर इसको तुम मोहब्बत कहते हो तो दुआ माँगो कि अल्लाह तुम पर रहम करे ।
तुमने जाना ही नहीं मोहब्बत क्या है..
मोहब्बत उससे करें जो आपकी शरारतों पर हँस सके,
आपके पागलपन में शरीक रहे,
दिसंबर की यख बस्त: शामों में
आपके साथ दरिया में पांव रख कर बैठ सके,
जून में धूप झेल सके,
जिसके सामने आपके अन्दर का बच्चा खुल कर शरारत कर सके-
और …
जो आपकी आँख में आँसू देख के
बिना आपके बोले दुख महसूस कर ले
बग़ैर कुछ कहे आपके दुखों को समेट ले..।।
💖💖
मोहब्बत यूँ भी होती है…
मोहब्बत यूँ भी होती है
हमेशा चुप रहा जाए,
कभी कुछ न कहा जाए
हिफ़ाज़त ऐसे की जाए,
कि जैसे राज़ हो कोई
किसी पुरसोज़ सीने में,
कि जैसे साज़ हो कोई
छिपाया यूँ उसे जाए,
जो दिल में सीप के मोती!
किसी की बेवफ़ाई जो
दिलों में खार से बोती,
कोई कह दे उसे जाकर
ये भी अंदाज़ ए उल्फ़त है,
तरीक़े महज़ चाहत है
ये भी रमज़े मोहब्बत है ,
कोई कह दे उसे जाकर
मोहब्बत यूँ भी होती है..🌹🌹